परलोक के जीवन में इंसान की मुक्ति पाक नीयत से किए गए अमल पर निर्भर है। अल्लाह के लिए काम करना और कर्म में पाक नीयत होने से नजात मिलेगी। बहुत से मौक़ों पर ऐसा नहीं होता। बहुत से कामों में इंसान सोचता है कि उसने यह काम अल्लाह के लिए किया है, बाद में जब ख़ुद ज़रा इंसाफ़ के साथ ध्यान देता है तो महसूस करता है कि वह अमल पूरी तरह पाक नहीं है।
इमाम ख़ामेनेई
02/05/2016