अपने आपको पाकीज़ा बनाने की कोशिश करनी चाहिए, ख़ुद को पाक करें, मन की पाकीज़गी के बिना किसी मरतबे तक नहीं पहुंचा जा सकता। मन की पाकीज़गी ज़रूरी है, मन की पाकीज़गी तक़वा और परहेज़गारी पर निर्भर है। ख़ुद की निगरानी पर निर्भर है। हमेशा ख़ुद पर नज़र रखने से पाकीज़गी पैदा होती है।
इमाम ख़ामेनेई
30/03/2016