बिस्मिल्लाह अर्रहमान अर्रहीम

अल्लाह का शुक्र है। इस्लाम का मोर्चा और रेज़िस्टेंस का मोर्चा कभी इस हद तक कामयाब, सरबुलंद और विजयी नहीं रहा, अलहम्दुलिल्लाह। कुफ़्र का मोर्चा और विश्व साम्राज्यवाद, दुनिया का सबसे बड़ा ग़ुंडा अमरीका और उसका पागल कुत्ता, ज़ायोनी शासन भी कभी इतना ज़लील और रुसवा नहीं रहे हैं। अल्लाह का शुक्र है कि शहीदों और हमारे बुज़ुर्ग शहीदों, अलहाज क़ासिम सुलैमानी, रेज़िस्टेंस मोर्चे के शहीद, सैयद हसन नसरुल्लाह, इस्माईल हनीया, ये सब ज़्यादा बड़ी जीत की ख़ुशख़बरी दे रहे हैं, इंशाअल्लाह।
एक सवाल किया गया था और हमारे अज़ीज़ रहबर की राय पूछी गयी थी कि इस तरह के हालात में, रेज़िस्टेंस मोर्चे की ज़्यादा बड़ी फ़तह के लिए, रेज़िस्टेंस के पूरे क्षेत्र में ख़ास तौर पर फ़िलिस्तीन, ग़ज़ा और लेबनान के इलाक़े में हमारे लिए कौन सी दुआ पढ़ना बेहतर है। यह सवाल किया गया था। मैंने मालूम किया तो मुझे पता चला कि अज़ीज़ रहबर की राय यह हैः
क़ुरआन मजीद से सूरए फ़तह की तिलावत की जाए जिसमें बड़ी बड़ी ख़ुशख़बरियां हैं, जीत की, रास्ते खुलने की, अल्लाह की मदद की, यह ख़ुशख़बरियां सूरए मुबारक फ़तह में हैं।
दुआओं के बारे में उन्होंने फ़रमाया है कि सहीफ़ए सज्जादिया की चौदहवीं दुआ पढ़ी जाए। इस दुआ में अल्लाह से बड़े बड़े ज़ुल्म के मुक़ाबले में मदद की दरख़्वास्त है। इस दुआ के एक हिस्से में नाम लिया जाता है, जहाँ फ़रमाया गया हैः "फ़ुलां इब्ले फ़ुलां" आप लोग इंशाअल्लाह यह दुआ पढ़ेंगे, इस नाम की जगह ज़ायोनियो और अमरीका वग़ैरह का नाम लीजिए। यह बहुत ही आला और बेहतरीन अर्थों वाली दुआ है जिसमें हम ज़ुल्म से अल्लाह की पनाह मांग रहे हैं और जिस अल्लाह ने मज़लूमों की मदद का वादा किया है, इस दुआ में उससे हम यह विनती कर रहे हैं।
इसी तरह उन्होंने फ़रमाया कि दुआए तवस्सुल पढ़ी जाए क्योंकि हमें अल्लाह के सामने अहलेबैत अलैहेमुस्सलाम के पाकीज़ा नामों का ज़िक्र करना चाहिए और उनकी पाकीज़ा आत्मा से मदद मांगनी चाहिए। इंशाअल्लाह, उनके नामों की बरकत और उनके पाकीज़ा वजूद, सत्य और पाकीज़गी की बरकत और अपनी कृपा और मेहरबानी से अल्लाह, इस्लामी जगत और रेज़िस्टेंस मोर्चे को इससे भी ज़्यादा मदद और फ़तह व कामयाबी अता करेगा।
हमने इस पाकीज़ा जगह और रेज़िस्टेंस मोर्चे के अज़ीम शहीद अलहाज क़ासिम सुलैमानी के मज़ार के पास से, इस सवाल के सिलसिले में अपनी जान से ज़्यादा अज़ीज़ अपने रहबर का जवाब पेश कर दिया है, इंशाअल्लाह यह जवाब भलाई और बरकत का स्रोत साबित होगा। हमेशा ही, अमल, आप्रेशन और ऐक्शन के साथ दुआ, मामलों को अंजाम तक पहुंचाती है। क़ुरआन मजीद और ईश्वरीय संदेश 'वहि' की हक़ीक़त और क़ुरआन की पनाह में जाना और अहलेबैते अलैहेमुस्सलाम से तवस्सुल, इंशाअल्लाह हमेशा ही कामों को आसान बनाएगा और बड़ी जीत और कामयाबियां दिलाएगा।
आप सब पर सलाम और अल्लाह की रहमत व बरकत हो।