इस्लामी इंक़ेलाब के नेता ने इस मुलाक़ात में हज़रत जाफ़र बिन अबी तालिब की नुमायां और कम पहचानी गयी शख़्सियत के मुख़्तलिफ़ पहलुओं को ऐतिहासिक, प्रचारिक, सामाजिक और आस्था के पाठ पर आधारित बताया और कहा कि किताब जैसी बाक़ी रहने वाली सांस्कृतिक रचना के ज़रिए इन पाठों को अगली नस्ल तक पहुंचाना चाहिए।  
उन्होंने पैग़म्बरे इस्लाम सल्लल्लाहो अलैहि वआलेही वसल्लम के नज़दीक हज़रत जाफ़रे तय्यार के ख़ास रुतबे की ओर इशारा करते हुए इस्लामी इतिहास की दूसरी नुमाया हस्तियों के बारे में रिसर्च किए जाने और सांस्कृतिक रचनाए तैयार किए जाने पर बल दिया और कहा कि रेडियो और टीवी जैसे आर्ट और कल्चर के विभागों को इतिहास की इन क़ाबिले फ़ख़्र हस्तियों की ज़िंदगी के बारे में फ़िल्में और सीरियल तैयार करने चाहिए।  
इस मुलाक़ात के आग़ाज़ में कान्फ़्रेंस के प्रमुख हुज्जतुल इस्लाम रफ़ीई ने इस कान्फ़्रेंस के लिए किए जाने वाले इल्मी व रिसर्च कार्यों के बारे में एक रिपोर्ट पेश की।  
अलमुस्तफ़ा यूनिवर्सिटी के चांसलर हुज्जतुल इस्लाम अब्बासी ने भी इस यूनिवर्सिटी के इल्मी प्रोग्रामों के बारे में एक रिपोर्ट पेश की।