बिस्मिल्लाह अर्रहमान अर्रहीम
अरबी ख़ुतबे का अनुवादः सारी तारीफ़ पूरी कायनात के मालिक के लिए, दुरूद व सलाम हो हमारे सरदार व रसूल हज़रत अबुल क़ासिम मुस्तफ़ा मोहम्मद और उनकी सबसे पाक, सबसे पाकीज़ा, चुनी हुयी नस्ल और ख़ास तौर पर ज़मीनों पर बाक़ी बची उनकी आख़िरी निशानी पर।
जी बहुत सी बातें कही जा चुकी हैं, मैं बस कुछ का ज़िक्र करना चाहूंगा। एक बात यह है कि खेलों के अंतररष्ट्रीय मुक़ाबलों में, सिर्फ़ बदन की ताक़त और खेल में एक्सपर्ट होने का ही प्रदर्शन नहीं किया जाता बल्कि इस अवसर पर मुल्क के दुश्मनों के सामने अपनी मानसिक ताक़त और आत्मविश्वास का भी प्रदर्शन किया जाता है, यह बहुत अहम है। यह जो हमारी प्यारी बेटी (2) मिसाल के तौर पर अपना मैडल ग़ज़्ज़ा और फ़िलिस्तीन के बच्चों के दे देती है तो दुनिया में इसे बहुत अर्थपूर्ण समझा जाता है। या यह जो खिलाड़ियों के क़ाफ़िले का नाम “ख़ादिमुर्रज़ा” रखा जाता है तो यह बहुत अर्थ पूर्ण है। यह महिला खिलाड़ी जिस तरह से पर्दे का ख़्याल रखती हैं या हमारे चैंपियंस जो कोई ग़ैर औरत उन्हें मेडल देती है तो उससे हाथ नहीं मिलाते, यह बहुत अर्थपूर्ण है।
इस से आत्मविश्वास का पता चलता है, इस से यह पता चलता है कि ईरानी, अपनी पहचान को महत्व देता है, अपनी पहचान को क़ीमती समझता है, राष्ट्रीय व इस्लामी पहचान को, यह चीज़ इस साल पूरी तरह से नज़र आ रही थी, यह दिखाया गया। फ़िलिस्तीन के परचम को उठाया गया। हमारा खिलाड़ी, (3) सामने आता है और अपने दोस्तों के साथ फ़िलिस्तीन का परचम उठाता है, आप के लोगों की ज़बान में सेल्फ़ी लेता है, यह चीज़ें बहुत अहम हैं, इसका बहुत महत्व है। मैं किसी भी दशा में इन सब चीज़ों को देख कर सरसरी तौर पर गुज़रता नहीं, मैं इस तरह की एक एक चीज़ पर ध्यान देता हूं और इनमें से एक एक काम का अर्थ अपने दिमाग़ में और अपनी ज़बान से जनता के सामने दोहराता हूं। इस आधार पर एक बात यह है कि आप ने खेल के मैदान में, बदन की ताक़त के अलावा, खेल और शारीरिक क्षमताओं के महारत के साथ ही एक मानसिक शक्ति का भी प्रदर्शन किया, अपनी पहचान का भी प्रदर्शन किया। इसकी हमें क़द्र करनी चाहिए, इसकी हमें क़ीमत समझनी चाहिए, यह एक बात थी।
एक और बात यह है कि यह ईरानी पहचान है क्या? यह अहम बात है। किस भी चीज़ को “तोड़ मरोड़ कर पेश करना” अतीत में, आज भी और भविष्य में भी इस्तेमाल होने वाला एक आम तरीक़ा है। पूरी एक क़ौम को तोड़ मरोड़ कर पेश कर दिया जाता है, उसके विश्वास को उसके दिल की भावना को दूसरे रूप में दुनिया के सामने पेश कर दिया जाता है, इससे मुक़ाबला कैसे किया जाए? चलें मान लें जो लोग यह प्रचार करते हैं कि ईरानियों का धर्म पर विश्वास कमज़ोर हो गया है उनका मुक़ाबला करने के लिए हम एक किताब लिख दें लेकिन किताब कितने लोग पढ़ते हैं? कितने लोग देखते हैं? कितने लोग समझते हैं? लेकिन आप लोगों ने दसियों लाख लोगों की आंखों के सामने, शायद करोड़ों लोगों के सामने जो ओलंपिक देखते हैं, क़ुरआन को चूम कर, ज़मीन पर सजदा करके, ख़ुदा का शुक्र करके इस हक़ीक़त को ज़ाहिर कर दिया, यह आप की पहचान का प्रदर्शन है। ईरानी क़ौम की पहचान, आत्मविश्वास है, अपने देश के लिए राष्ट्रीय महानता में दिलचस्पी है, ईरानी क़ौम की पहचान धर्म में आस्था है, इस्लाम पर प्रतिद्धता है, अहलेबैत के दामन को थामे रहना है। ओलंपिक के दौरान आप लोगों की तरफ़ से इमामों का मुक़द्दस नाम पेश किया जाना, आखों को बहुत भाता है। यह भी अगली बात है और इसी बुनियाद पर दूसरी बात यह हुई कि आप यह तय करते हैं कि राष्ट्रीय पहचान क्या है? दीनी पहचान को भभी और राजनीतिक पहचान को भी तय करते हैं। यह जो आप फ़िलिस्तीन का समर्थन करते हैं वह आप के अहम कामों में से है।
एक और बात यह है कि हमारे खिलाड़ियों ने यह साबित कर दिया कि वह जब अंतरराष्ट्रीय मैदानों में उपस्थित होते हैं, तो एक राष्ट्रीय और उससे बढ़ कर भी अपने कांधों पर ज़िम्मेदारी का एहसास करते हैं, यह बहुत अहम है। आप का सम्मानीय काम, गंभीरता और बुद्धिमत्ता के साथ आप का काम यह दिखाता है कि हमारे खिलाड़ी यह समझते हैं कि इस मैदान में, अंतरराष्ट्रीय मैदानों में, उन पर दोहरी ज़िम्मेदारी है, एक राष्ट्रीय ज़िम्मेदारी है जो आम ज़िम्मेदारी के अलावा है, यह भी बहुत अहम चीज़ है और मेरी नज़र में आप खिलाड़ियों ने, हमारे चैंपियंस ने इस सिलसिले में जो प्रदर्शन किया है वह बहुत ज़्यादा क़ीमती है।
एक और बात उन खिलाड़ियों के लिए जिन्हें शारीरिक तौर पर समस्या का सामना है, उम्मीद पैदा करना है, व्हीलचेयर पर बैठा नौजवान जो करोड़ों लोगों के सामने शारीरिक ताक़त का एक गौरवशाली प्रदर्शन करने की योग्यता रखता है, लोगों में उम्मीद पैदा करता है, बहुत से लोग हैं जो एक मामूली से एक्सीडेंट और शरीर में पैदा होने वाली कमी से निराश हो जाते हैं, आप इस तरह के लोगों के दिलों में उम्मीद पैदा करते, यह बहुत अहमत है। यह भी एक बात है। मैं अपने इन सभी प्यारों का शुक्रिया अदा करता हूं।
एक और बात है जिसे इस साल के ओलंपिक में महसूस किया गया, अंतरराष्ट्रीय खेल पर कंट्रोल रखने वाले देशों की दोहरी नीतियां हैं, सच में इन देशों ने यह साबित कर दिया कि उनके व्यवहार पर दोहरी और दोग़ली नीतियों का राज है। एक सरकार पर, एक देश पर इस वजह से कि उसने किसी देश में जंग शुरु की है, पाबंदी लगा देते हैं, लेकिन ज़ायोनी शासन पर जिसने हज़ारों बच्चों की हत्या की, लगभग एक साल के यद्ध के दौरान 41 हज़ार से ज़्यादा लोगों को क़त्ल किया, प्रतिबंध नहीं लगाया जाता! ज़ाहिर है यह दोहरी नीति है, यह शत्रुतापूर्ण नीति है और यह वही बात है जो हम हमेशा कहते हैं और कुछ लोग समझते हैं कि हम बढ़ा चढ़ा कर पेश कर रहे हैं नहीं बढ़ा चढ़ा कर नहीं पेश करते। वह कहते हैं कि “खेल राजनीतिक नहीं है”। जबकि यह लोग खेल में सब से ज़्यादा राजनीति लाते हैं और राजनीति करते और दिखाते हैं। यह भी एक बात है।
आप खिलाड़ियों से मेरी सिफ़ारिश यह है कि इस गर्व को खेल से अलग मैदानों में भी सुरक्षित रखें, यानि दीन का सम्मान, नैतिकता का सम्मान, धार्मिक, नैतिक, राजनीतिक व सामाजिक ज़िम्मेदारियों का सम्मान, जिस तरह से आप पूरी दुनिया के सामने करते हैं उसी तरह से खेल के मैदान से बाहर भी यही भावना रखें। आप सब मॉडल हैं, नौजवान आप को देखते हैं, आप का व्यवहार बहुत से लोगों के लिए नमूना हो सकता है। दीनी लिहाज़ से, सियासी लिहाज़ से, अख़लाक़ी लिहाज़ से, समाजी लिहाज़ से, खेल के मैदान से बाहर, आम ज़िंदगी में, जब सड़कों पर चलते हैं, जहां काम करते हैं, अगर नियमों पर ध्यान दें तो अल्लाह आप लोगों को दोगुना सवाब देगा।
कुछ ज़िम्मेदारियां सरकार की है कि सौभाग्य से मंत्री साहब ने उनका ज़िक्र किया, मैंने भी कुछ लिख रखा है कहने के लिएः एक चीज़ योग्यताओं की खोज है, हाई स्कूल के दौर से ही और कुछ मामलों में तो स्कूल के दौर से ही, योग्यताओं की खोज होनी चाहिए ताकि विभिन्न क्षेत्रों में योग्यताओं रखने वाले हमारे किशोर हमारे बच्चे, तैयार हो जाएं और उन्हें इस तरह से नाम कमाने के लिए तैयार किया जा सके।
दूसरी बात उन खेलों पर ख़ासतौर पर ध्यान देना है कि जिस में हम राष्ट्रीय और इतिहासिक तौर पर नाम रखते हैं जैसे मिसाल के तौर पर कुश्ती। वैसे मैंने पहले भी ईरान के ख़ास खेलों के बारे में सिफ़ारिश की है। (4) कि मिनिस्टर साहब ने भी कहा मिसाल के तौर पर यही अखाड़े वाला खेल, अगर आप अंतरराष्ट्रीय मैदानों में, एशियाई खेलों में, ओलंपिक में, अपनी जगह बना सकें और ईरानी अखाड़े का वहां प्रदर्शन कर सकें, यही ईरान के पुराने अखाड़े का खेल दिखा सकें तो यह ख़ूबसूरत भी है, अर्थ पूर्ण भी है, इसके अलावा एक ख़ास क़िस्म की व्यवस्था है इसमें जो आज कल के खेलों की व्यवस्था से जो अक्सर पश्चिमी है, अक्सर, सब नहीं , उससे अलग है, ईरानी अखाड़े के खेल की व्यवस्था अलग है, एक अलग रूप है, एक अलग व्यवस्था से इसे खेला जाता है, इसे पूरी दुनिया को दिखाएं। या चोगान खेल जिसकी बात की गयी और मैंने भी पहले इस बारे में बात की है।(5)
सरकारी अधिकारियों को भी एक और सिफारिश यह है कि उस खिलाड़ी की तरफ़ से ग़ाफ़िल न रहें जिसने अपनी राष्ट्रीय महत्वकांक्षा या अपने धार्मिक मूल की वजह से उसकी क़ीमत चुकायी है। हमारा खिलाड़ी, ज़ायोनी खिलाड़ी से नहीं मुक़ाबला करता, उसके साथ नहीं खेलता और इसकी वह क़ीमत अदा करता है, हमें इस खिलाड़ी की अनदेखी नहीं करना चाहिए। यह मेरी नज़र में खेल विभाग के ओहदेदारों की यह एक अहम ज़िम्मेदारी है।
एक और सिफ़ारिश यह है कि खिलाड़ियों की आमदनी पर ध्यान दिया जाए, अभी यहीं पर यह जो हमारे प्यारे खिलाड़ी ने, इस युवा ने भी (6) यहां उसकी बात की, आमदनी का मामला, रोज़गार का मुद्दा, खेल के लिए ज़रूरतों का मामला, इन सब पर सरकार के बस में जितना है उतना ध्यान दिया जाना ज़रूरी है। मंत्री साहब ने बहुत से वादे किये हैं, इन्शाअल्लाह वह अपने इन वादों पर सही वक़्त में अमल भी कर सकेंगे।
एक और बात सार्वाजनिक खेल कूद और व्यायाम पर ध्यान देना है, यक़ीनी तौर पर मैंने प्रोफ़ेशनल खेल और चैंपियनशिप के लिए खेल का हमेशा समर्थन किया है और बार बार कहा भी है इस बारे में लेकिन यह चीज़ हमें सार्वाजनिक व्यायाम और खेल कूद से दूर न कर दे। जनता को सब को खेल कूद में हिस्सा लेना चाहिए व्यायाम करना चाहिए, आज यह स्थिति हमारे देश में नहीं है। बहुत से युवा, बहुत ये जवान व्यायाम नहीं करते। युवाओं को व्यायाम करना चाहिए खेल कूद में हिस्सा लेना चाहिए, अधेड़ उम्र के लोगों को भी और बूढ़ों को भी खेल कूद में हिस्सा लेना और व्यायाम करना चाहिए, हरेक को अपनी ताक़त के हिसाब से यह काम करना चाहिए, सब को व्यायाम और खेल कूद में हिस्सा लेना चाहिए। इस तरह सार्वाजनिक व्यायाम देश के बहुत से ख़र्चों को कम कर देगा, सिर्फ़ शारीरिक ख़र्चे की नहीं जैसे स्वास्थ्य वग़ैरा पर होने वाले ख़र्चे बल्कि नैतिकता के ख़र्चे भी कम कर देगा।
आख़िरी बात भी जिस पर मैं पहले भी बात कर चुका हूं और ध्यान दिला चुका हूं। (7) ईरानी कोचों का साथ देना है। आज बहुत से मुल्कों में ईरानी ट्रेनरों और कोचों को रखा गया है जो काम कर रहे हैं, लेकिन हम ख़ुद ईरानी कोचों से कम ही फ़ायदा उठाते हैं और विदेशी कोचों की तलाश में रहते हैं। ईरानी कोच, ईरानी है और उसे मुल्क के हालात का ज़्यादा अंदाज़ा होता है।
अल्लाह इन्शाअल्लाह आप सभी खिलाड़ियों को, खेल के विभिन्न विभागों के ज़िम्मेदारों को इस बात की तौफ़ीक़ देगा कि आप सब बेहतरीन तरीक़े से काम आगे बढ़ाएं। मुझे भी इस बात की ख़ुशी है कि ख़ुदा के शुक्र से देश में खेल कूद के मैदान में तरक़्क़ी हो रही है और यह सिलसिला जारी रहना चाहिए इन्शाअल्लाह।
वस्सलाम अलैकुम व रहमतुल्लाहे व बरकातुहू