ज़ायोनी शासन के ख़िलाफ़ संघर्ष सैयद हसन नसरुल्लाह की शहादत से भी नहीं रुकेगा
इस्लामी इंक़ेलाब के नेता आयतुल्लाहिल उज़मा सैयद अली ख़ामेनेई के प्रतिनिधित्व में उनके बेटे, तेहरान आने वाले लेबनान के घायलों और हिज़्बुल्लाह के मुजाहिदों को देखने अस्पताल पहुंचे। ये लोग लेबनान की हालिया घटनाओं में घायल हुए हैं जिन्हें इलाज के लिए तेहरान लाया गया है। इन लोगों में मुख़्तलिफ़ उम्र के लोगों के साथ साथ नवजात शिशु, छोटे बच्चे और किशोर भी हैं।
ये घायल लोग जो ज़ायोनी शासन के आतंकवादी स्कवाड के अपराधों का निशाना बने, दर्द और शारीरिक लेहाज़ से होने वाले नुक़सान के बावजूद, इस्लामी इंक़ेलाब के नेता के प्रतिनिधियों को देखकर बहुत ख़ुश हुए और अस्पताल का माहौल ख़ुशगवार व अध्यात्मिक हो गया।
इस्लामी इंक़ेलाब के नेता के बेटों ने इन घायलों को इस्लामी इंक़ेलाब के नेता का सलाम पहुंचाने के साथ ही संबंधित अधिकारियों से घायलों के इलाज के संबंध में तफ़सील पूछी।
हिज़्बुल्लाह के महासचित सैयद हसन नसरुल्लाह के रास्ते को जिसे उन्होंने ज़ायोनी शासन के ख़िलाफ़ शुरू किया है, जारी रखने पर ताकीद, क्षेत्र में ज़ायोनी शासन के ख़िलाफ़ प्रतिरोध का सपोर्ट करने पर ईरानी अवाम का शुक्रिया अदा करना और इसी तरह ईरानी डाक्टरों और नर्सों की कोशिशों का शुक्रिया अदा करना, इस्लामी इंक़ेलाब के नेता के प्रतिनिधियों से इन घायलों की मुलाक़ात और बातचीत के मुख्य बिंदु थे।
इन मुजाहिदों और घायलों ने जो शारीरिक तौर पर तो घायल थे लेकिन उनका उत्साह बढ़ा हुआ था इस्लामी इंक़ेलाब के नेता के बेटों से दरख़ास्त की कि आयतुल्लाह ख़ामेनेई को हमारा सलाम पहुंचाएं और उनसे रेज़िस्टेंस की कामयाबी की दुआ करने के लिए कहिए और यह इत्मीनान दिलाइये कि ज़ायोनी शासन के ख़िलाफ़ पाकीज़ा संघर्ष इन कटु घटनाओं और सैयद हसन नसरुल्लाह की शाहदत के बावजूद जारी रहेगा, रुकेगा नहीं।
लेबनान के घायलों ने बल दिया कि हमने सैयद हसन नसरुल्लाह की शाहदत से एक अज़ीज़ शख़्सियत को खो दिया लेकिन लेबनान के इस्लामी प्रतिरोध के आध्यात्मिक पिता के रूप में आयतुल्लाह खामेनेई की छत्रछाया और नेतृत्व में संघर्ष जारी रहेगा।
अस्पताल का माहौल इतना अध्यात्मिक था कि वहां मौजूद लोग, लेबनान के संघर्षकर्ताओं के शौर्य व बहादुरी से प्रभावित हुए।
इस्लामी इंक़ेलाब के नेता के बेटों ने भी लेबनान के इस्लामी प्रतिरोध के जियालों और ज़ायोनी शासन के ख़िलाफ़ उनके पाकीज़ा संघर्ष को न सिर्फ़ ईरान बल्कि पूरे इस्लामी जगत का सिर फ़ख़्र से ऊंचा करने वाला और इस संघर्ष और संघर्षकर्ताओं के प्रति सपोर्ट को सभी मुसलमानों का कर्तव्य बताया और अल्लाह की राह में उनके संघर्ष को सराहा, उनकी सलामती और अच्छे होने की कामना की ताकि इलाज पूरा होने के बाद वे अपने मुल्क लौट सकें।
इस्लामी प्रतिरोध के जियालों और घायलों का कुशलक्षेम पूछने के दौरान, इस्लामी इंक़ेलाब के नेता की ओर से उन्हें तोहफ़ा दिया गया जिसमें क़ुरआन मजीद और यादगार के तौर पर लिखित रूप में ख़ास पैग़ाम था, जो इस तरह हैः
बिस्मिल्लाह अर्रहमान अर्रहीम
मेरे अज़ीज़!
अल्लाह की ओर से लिए गए इम्तेहान में आप कामयाब हुए।
आपका सब्र और दृढ़ता सबसे बड़े जेहाद में से एक है।
अल्लाह से आपकी शिफ़ा, तंदुरुस्ती और अच्छे अंजाम की दुआ करता हूं।
सैयद अली ख़ामेनेई
30 सितंबर 2024