ईरान के दौरे पर आए ताजिकिस्तान के राष्ट्रपति इमाम अली रहमान और उनके साथ आए प्रतिनिधिमंडल ने मंगलवार की सुबह तेहरान में इस्लामी इंक़ेलाब के नेता आयतुल्लाहिल उज़मा सैयद अली ख़ामेनेई से मुलाक़ात की जिसमें, इस्लामी इंक़ेलाब के नेता ने इस्लामी गणराज्य की अस्ल नीति और प्राथमिकता, क्षेत्रीय मुल्कों ख़ास तौर पर हमज़बान और संयुक्त ज़बान, इतिहास और धर्म रखने वाले मुल्कों से संबंध को बढ़ावा देना बताया।
आयतुल्लाह ख़ामेनेई ने कहा कि इस्लामी गणराज्य ईरान विगत की तरह आइंदा भी अनेक मैदानों में ताजिकिस्तान के साथ ख़ुलूस के साथ सहयोग के लिए तैयार है।
उन्होंने ईरान के राष्ट्रपति के शपथ ग्रहण समारोह में शिरकत के लिए ताजिकिस्तान के राष्ट्रपति के ईरान आगमन की क़द्रदानी करते हुए दोनों मुल्कों के अधिकारियों के एक दूसरे के यहाँ आने जाने को आपसी सहयोग की राह समतल करने वाला क़दम बताया और कहा कि फ़ारसी ज़बान ईरान, ताजिकिस्तान और अफ़ग़ानिस्तान की एक संयुक्त वैल्यु है और इस ज़बान के बाक़ी रहने, इसे बढ़ावा देने और इसे हाशिए पर डालने की कुछ कोशिशों की रोकथाम के लिए आपसी सहयोग बढ़ना चाहिए।
इस्लामी इंक़ेलाब के नेता ने फ़ारसी ज़बान को बढ़ावा देने के लिए ताजिकिस्तान के राष्ट्रपति की कोशिशों की सराहना करते हुए उम्मीद जतायी कि ताजिकिस्तान में फ़ारसी की प्राचीन लिपि भी दोबारा प्रचलित होगी।
उन्होंने कहा कि ईरान और ताजिकिस्तान के संबंधों के विस्तार के कुछ विरोधी भी हैं जिनसे मुक़ाबले के लिए योजना भी ज़रूरी है।
इस मुलाक़ात में, जिसमें उपराष्ट्रपति जनाब आरिफ़ भी मौजूद थे, ताजिकिस्तान के राष्ट्रपति इमाम अली रहमान ने इस्लामी इंक़ेलाब के नेता से दोबारा मुलाक़ात पर गहरी ख़ुशी का इज़हार करते हुए जनाब पिज़िश्कियान साहब से अपनी बातचीत का ज़िक्र किया और कहा कि जैसा कि आपने कुछ साल पहले कहा था, दोनों मुल्क एक दूसरे के रिश्तेदार हैं और हम आपसी संबंधों को पहले से ज़्यादा बढ़ावा देना और इल्म व साइंस, हेल्थ, मेडिकल साइंस और उद्योग के क्षेत्र में इस्लामी गणराज्य के अनुभव से फ़ायदा उठाना चाहते हैं।
उन्होंने इसी तरह अपने मुल्क में फ़ारसी ज़बान को बढ़ावा देने के लिए की जाने वाली कुछ कोशिशों और सरगर्मियों की ओर भी इशारा किया।