कुछ वर्ग ऐसे हैं कि अगर उनसे कोई ग़लती हो तो अल्लाह उसे दो ग़लती शुमार करता है। हम अमामे वाले इसी तबक़े में आते हैं। हमारी एक ख़ता दो ख़ता है। एक ख़ुद गुनाह का और एक हमारे गुनाह से बाहर होने वाले असर का। इस पर ध्यान देने की ज़रूरत है।

इमाम ख़ामेनेई