अपनी बेटी के साथ इमाम ख़ुमैनी से मुलाक़ात की आयतुल्लाह ख़ामेनेई की बड़ी दिलचस्प यादें
एक बार मैं अपनी बेटी के साथ इमाम ख़ुमैनी से मुलाक़ात के लिए गया। बेटी की उम्र चार पांच साल रही होगी। हमारे घर वाले मशहद चले गए थे लेकिन वो मेरे साथ रुक गई कि ईदे नौरोज़ पर मेरे साथ आए और इमाम ख़ुमैनी से मुलाक़ात करे। हम सुबह को उठे। मैंने उसके बालों में कंघी की, बालों को सवांरा, बड़ी मेहनत से बालों को गूंधा। एक हाथ से नहीं हो पा रहा था। (आयतुल्लाह ख़ामेनेई का दाहिना हाथ आतंकी हमले की ज़द में आ चुका है।) मुझे सर के बालों को गूंधना आता है लेकिन एक हाथ से नहीं हो पा रहा था। दोनों हाथों से गूंधना पड़ता है क्योंकि बालों को तीन हिस्से में बांटना रहता है।
हमारे सेक्युरिटी के जवान आए तो उनकी मदद से मैंने बेटी के बालों को गूंधा, चादर पहनाई और इमाम ख़ुमैनी से मुलाक़ात के लिए पहुंचे।
17 सितम्बर 2007
#बेटियों_का_दिन