सवालः मैंने नज़्र की थी कि अगर यूनिवर्सिटी में एडमिशन मिल गया तो इमाम हुसैन अलैहिस्सलाम के चेहलुम के दिन तबर्रुक के तौर पर खाना बांटूंगा। क्या में खाने की जगह उसके पैसों से ज़रूरतमंदों की मदद कर सकता हूं?

जवाबः अगर आपने नज़्र के ख़ास अल्फ़ाज़, जिनका ज़िक्र फ़िक़ह की किताबों में है, अदा नहीं किए हैं तो आप उसे बदल सकते हैं लेकिन अगर आपने नज़्र के ख़ास अल्फ़ाज़ ज़बान से अदा किए हैं तो फिर आपको नज़्र के मुताबिक़ ही अमल करना होगा।