• नौजवान लड़की की मौत से हमें भी दिली सदमा हुआ, बिना जाँच के रिएक्शन, दंगे करना, अवाम के लिए असुरक्षा पैदा करना, क़ुरआन, मस्जिद, हेजाब, बैंक और लोगों की गाड़ियों पर हमला स्वाभाविक रिएक्शन व आम बात नहीं, बल्कि यह पहले से नियोजित साज़िश का नतीजा है।

• हालिया कुछ दिनों की घटनाओं में सबसे ज़्यादा मुल्क की पुलिस फ़ोर्स पर ज़ुल्म हुआ, स्वयंसेवी बल पर ज़ुल्म हुआ, ईरानी क़ौम पर ज़ुल्म हुआ, ज़ुल्म किया गया। अलबत्ता क़ौम इस घटना में भी, पिछली घटनाओं की तरह मज़बूती के साथ सामने आयी, पूरी तरह मज़बूत, हमेशा की तरह, अतीत की तरह। आगे भी ऐसा ही होगा। भविष्य में भी, जहाँ भी दुश्मन, रुकावट डालना चाहेंगे तो जो सबसे ज़्यादा मज़बूती से सीना तान कर सामने आएगा और सबसे ज़्यादा प्रभावी होगा, वह ईरान की बाहदुर व मोमिन क़ौम है, वह मैदान में आएगी और मैदान में आ गयी है।

• जी हाँ ईरानी क़ौम मज़लूम है, लेकिन मज़बूत है, अमीरुल मोमेनीन की तरह मुत्तक़ी लोगों के मौला की तरह, अपने आक़ा अली अलैहिस्सलाम की तरह जो मज़बूत भी थे, सबसे ज़्यादा ताक़तवर भी थे और सबसे ज़्यादा मज़लूम भी थे।

• यह घटना जो हुयी, जिसमें एक नौजवान लड़की की मौत हो गयी, कड़वी घटना थी, हमें दिली तकलीफ़ हुयी, लेकिन इस घटना पर आने वाला रिएक्शन, किसी भी जाँच से पहले, किसी ठोस सुबूत के बिना, यह नहीं होना चाहिए था कि कुछ लोग आकर सड़कों पर अशांति फैलाएं, लोगों के लिए असुरक्षा पैदा करें, सेक्युरिटी को छिन्न भिन्न कर दें, क़ुरआन को आग लगा दें, हेजाब करने वाली औरतों की चादरें छीन लें, मस्जिद और इमाम बाड़े को आग लगा दें, बैंक में आग लगा दें, लोगों की गाड़ियों में आग लगा दें। किसी घटना पर यह रिएक्शन, जो अफ़सोसनाक भी है, इस बात का कारण नहीं बन जाता कि इस तरह ही हरकतें की जाएं, यह काम नॉर्मल नहीं था, स्वाभाविक नहीं था, ये दंगे पहले से सुनियोजित थे।