बिस्मिल्लाह-अर्रहमान-अर्रहीम

पाकीज़ा डिफ़ेंस का हफ़्ता अज़ीज़ शहीदों के तज़करे और उनकी यादों को ज़िंदा करने और उनके पैग़ाम को ग़ौर से सुनने का अच्छा मौक़ा है।

शहीदों का पैग़ाम आमादा दिलों और सुनने की सलाहियत रखने वाले कानों के लिए बशारत का पैग़ाम है। यह अज़ीम पैग़ाम हमें याद दिलाता है कि ताक़त और ज़ुल्म व सितम के शैतानों के मुक़ाबले में रेज़िस्टेंस आख़िरकार फ़तह हासिल होने और ख़ौफ़ व ग़म के बादल छट जाने का कारण बनता है।

यह हयात बख़्श पैग़ाम है, उम्मीद और ऊर्जा देने वाला पैग़ाम है, यह आज भी और हर दौर के लिए भी ईरानी क़ौम और दुनिया के आज़ाद स्वभाव इंसानों की ज़रूरत है।