पाकीज़ा डिफ़ेंस के कमांडरों, मुजाहिद सिपाहियों और शहीदों के परिवारों के एक समूह ने इस्लामी इंक़ेलाब के नेता आयतुल्लाहिल उज़मा ख़ामेनेई से मुलाक़ात की। यह मुलाक़ात, पाकीज़ा डिफ़ेंस के हफ़्ते के मौक़े पर बुधवार 21 सितम्बर 2022 को तेहरान में इमाम ख़ुमैनी इमामबाड़े में हुयी।
आयतुल्लाहिल उज़मा ख़ामेनेई ने ईरान के ख़िलाफ़ लड़ी जाने वाली आठ वर्षीय जंग को अंतर्राष्ट्रीय जंग बताया और इसमें बाहरी ताक़तों के व्यापक रोल की ओर इशारा किया। उन्होंने कहा, एक वक़्त हम दावा करते थे कि सभी अंतर्राष्ट्रीय ताक़तें हमारे ख़िलाफ़ लड़ रही हैं लेकिन आज ख़ुद वे लोग इस बात को मान रहे हैं जो उस वक़्त कहा करते थे कि हम सिर्फ़ दावा कर रहे हैं।
इस्लामी इंक़ेलाब के सुप्रीम लीडर ने ईरान के ख़िलाफ़ थोपी गयी जंग को साम्राज्यवादियों की इस्लामी इंक़ेलाब की कामयाबी पर स्वाभाविक रिएक्शन बताया और कहा कि इस जंग का मक़सद ईरानी क़ौम की नई बातों व पैग़ाम को दूसरे मुल्कों तक पहुंचने से रोकना था जिसमें अमरीका से न डरने और अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर ज़ुल्म व भेदभाव के ख़िलाफ़ मज़बूत रेज़िस्टेंस का पैग़ाम शामिल था।
आयतुल्लाहिल उज़मा ख़ामेनेई ने आगे कहा कि ईरानी क़ौम के इस्लामी इंक़ेलाब से एक पिट्ठू व भ्रष्ट सरकरार की सिर्फ़ हार नहीं हुयी और अमरीका व साम्राज्यवाद को सिर्फ़ एक वार नहीं लगा बल्कि यह इम्पेरियलिज़्म के लिए बड़ा चैलेंज था और पूरब तथा पश्चिम की इम्पेरियल ताक़तों ने इस ख़तरे की संगीनी को समझते हुए जंग को बढ़ावा दिया और सद्दाम को उकसा कर ईरानी क़ौम पर जंग थोप दी।
इस्लामी इंक़ेलाब के नेता आयतुल्लाहिल उज़्मा ख़ामेनेई ने ईरान के बटवारे, ख़ूज़िस्तान जैसे अहम हिस्से को अलग करने, ईरानी क़ौम को झुकाने, इस्लामी गणराज्य व्यवस्था को गिराने और ईरानी क़ौम के भविष्य को अपने हाथ में लेने की कोशिश को साम्राज्यवादियों के जंग थोपने के मुख्य लक्ष्य गिनवाये और कहा कि इन खुली सच्चाइयों को नहीं भूलना चाहिए।
उन्होंने इस मुलाक़ात में अपनी स्पीच के एक भाग में ईरान की डिट्रेंस पावर की ओर इशारा करते हुए कहाः आज मुल्क डिफ़ेंस की नज़र से डिट्रेंस के चरण में पहुंच गया है और बाहरी ख़तरों की ओर से कोई चिंता नहीं है और दुश्मन भी इस बात को अच्छी तरह समझता है।
आयतुल्लाहिल उज़मा ख़ामेनेई ने पाकीज़ा डिफ़ेंस के कारनामों को ईरानी क़ौम के लिए साबित हो चुके एक अहम उसूल में बताते हुए कहाः पाकीज़ा डिफ़ेंस से साबित हो गया कि मुल्क की हिफ़ाज़त और दुश्मन के ख़तरों के सामने डिट्रेंस पावर सिर्फ़ रेज़िस्टेंस से हासिल होता है न कि झुकने से।
सुप्रीम लीडर आयतुल्लाहिल उज़्मा ख़ामेनेई ने इसी तरह राजनैतिक, आर्थिक व सांस्कृतिक इसी तरह दूसरे मैदानों में भी रेज़िस्टेंस के उसूल पर अमल की ताकीद करते हुए कहाः इस सूझबूझ भरे रेज़िस्टेंस से दुश्मन को यह बात समझ में आ गयी कि अपने कैल्कूलेशन में ईरान की भीतरी ताक़त को हमेशा मद्देनज़र रखे क्योंकि हम इसी भावना के ज़रिए ही सबसे ज़्यादा दबाव की नीति या न्यु मिडिल ईस्ट नाम की साज़िश या हवाई और समुद्री सीमाओं में दुश्मन की घुसपैठ जैसे बहुत सी साज़िशों को नाकाम बना सके।
उन्होंने एक बार फिर सही नैरेटिव पेश करने की ज़रूरत पर ताकीद करते हुए कहाः इस संदर्भ में अब तक जो काम हुए हैं अच्छे हैं, लेकिन इसका नतीजा भी नज़र आना चाहिए।
इस्लामी इंक़ेलाब के सुप्रीम लीडर ने अपनी स्पीच के अंत में पाकीज़ा डिफ़ेंस और इस्लामी इंक़ेलाब के उसूल के बारे में ग़लत नैरेटिव के जवाब को ज़रूरी बताते हुए कहाः इस संबंध में अमरीकी और ज़ायोनी किताब और फ़िल्म के ज़रिए काम कर रहे हैं जिससे निपटने के लिए विचारकों और कलाकारों की मदद लेनी चाहिए।
इस मुलाक़ात के आग़ाज़ में आर्म्ड फ़ोर्सेज़ के चीफ़ आफ़ स्टाफ़ जनरल मोहम्मद बाक़ेरी ने पाकीज़ा डिफ़ेंस की संस्कृति व मूल्यों की हिफ़ाज़त और उसे फैलाने के लिए उठाए गए क़दमों और प्रोग्रामों के बारे में एक रिपोर्ट पेश की।