बिस्मिल्लाह-अर्रहमान-अर्रहीम
इस बहादुर महिला की उतार-चढ़ाव भरी दिलचस्प बायोग्राफ़ी, जो हमीद हेसाम के मज़बूत क़लम से लिखी गयी है, पढ़ने और सबक़ लेने के लायक़ है। मैंने इन सम्मानीय महिला और उनके मोहतरम शौहर से बरसों पहले मुलाक़ात की थी। उस मुलाक़ात की तसवीर मेरे ज़ेहन में मौजूद है। उस दिन इस ईमान से सुशोभित, सच्चे व बलिदानी जोड़े की अज़मत को मैं आज की तरह, जब मैंने यह किताब पढ़ी, नहीं समझ पाया था और प्यारे शहीद का जगमगाता वजूद ही मुझे सम्मोहित कर रहा था। इस घराने के गुज़र जाने वाले और बाक़ी बचे लोगों पर अल्लाह की मेहरबानी व बर्कत हो।
सैयद अली ख़ामेनेई
अप्रैल 2022
- मोहतरमा बाबाई की ज़िन्दगी पर फ़िल्म बनाना, इस इस्लामी घराने और मुसलमान मर्द का परिचय कराने और उसकी क़द्रदानी के सिलसिले में अहम व प्रभानी क़दम है जिससे लापरवाही नहीं होनी चाहिए।