अल्लाह आप सबको तौफ़ीक़ दे, सभी मुसलमानों को तौफ़ीक़ दे कि वो एक दूसरे के साथ मिल कर एक मुट्ठी की तरह एक हो जाएं। ख़ास कर ईरानी क़ौम को तौफ़ीक़ दे और सरकार में, संसद में और दूसरी जगहों पर जो ये संस्थाएं हैं, इन्हें तौफ़ीक़ दे कि इनमें आपसी समझ-बूझ पैदा हो जाए और ये एक दूसरे के साथ रहें ताकि इस क़ौम को कोई नुक़सान न हो। अपने पैरों पर खड़े हों, अल्लाह के लिए उठ खड़े हों, अल्लाह के लिए शांत रहें, अल्लाह के लिए एक दूसरे से न झगड़ें, अल्लाह के लिए कोई ये न कहे कि मेरे ख़िलाफ़ साज़िश है और दूसरा कहे कि मेरे ख़िलाफ़ चाल है! लोग इतने अहम नहीं हैं कि अमरीका उस व्यक्ति या इस शख़्स के ख़िलाफ़ साज़िश करे। अमरीका जानता है कि वह क्या है। अमरीका, इस्लाम का दुश्मन है, उसे इस्लाम से चोट पहुंची है, लोगों से या किसी शख़्स से नहीं बल्कि इस्लाम से उसे थप्पड़ रसीद हुआ है, उसे इस क़ौम से थप्पड़ रसीद हुआ है जो इस्लाम की नामलेवा है।

इमाम ख़ुमैनी

5 अगस्त 1980