बुनियादी तौर पर हर वो संस्था, जिसमें इन बड़ी ताक़तों का रसूख़ है, ऐसी संस्थाएं हैं जिन्हें उनके हित में काम करना होता है। यही संयुक्त राष्ट्र संघ की संस्था, यही बैठकें जो बाहर होती हैं, सुरक्षा परिषद, ये सब बड़ी ताक़तों की ग़ुलाम हैं और दूसरे देशों के साथ खिलवाड़ करने के लिए हैं। इसी लिए इन ताक़तों ने अपने लिए वीटो का अधिकार रखा है और जो भी बात उनकी राय के ख़िलाफ़ होती है वो उसे किनारे लगा देती हैं बल्कि वो संस्था ख़ुद भी बुनियादी तौर पर इन बड़ी ताक़तों की ख़िदमत में लगी रहती हैं। ये लोग जिस नाम से भी संस्था बनाते हैं, उनके माध्यम से चाहते हैं कि सभी को अपने स्वार्थों की तरफ़ खींच लाएं। उनके सिलसिले में हमारी बदगुमानी इस हद तक है कि अगर वो कोई सही बात भी करें तो हमें लगता है कि ये काम उन्होंने लोगों को धोखा देने के लिए ही किया है।

इमाम ख़ुमैनी

9 सितम्बर 1980