मैं माँ-बाप से गुज़ारिश करता हूं और आप लोगों से आग्रह करता हूं, मांग करता हूं कि शादी और उससे संबंधित मामलों को थोड़ा आसान बनाइये। माँ-बाप सख़्ती करते हैं, सख़्ती की ज़रूरत ही नहीं है। जी हां! कुछ स्वाभाविक समस्याएं हैं, घर की समस्या, रोज़गार की समस्या और इसी तरह की दूसरी समस्याएं लेकिन (क़ुरआन कहता है कि) अगर वो ग़रीब हुए तो अल्लाह अपनी कृपा से उन्हें मालदार बना देगा, ये क़ुरआन है। मुमकिन है कि किसी जवान के पास इस वक़्त आर्थिक संसाधन न हों लेकिन इंशाअल्लाह, ख़ुदा शादी के बाद संपन्नता प्रदान करेगा। जवानों की शादी मत रोकिए, मेरी गुज़ारिश है कि माँ-बाप इस मामले पर विचार करें।

इमाम ख़ामेनेई

11 जुलाई 2015