उन्होंने अपनी स्पीच में युक्रेन को अमरीका की संकट पैदा करने की नीति की भेंट बताते हुए कहाः हम चाहते हैं कि युक्रेन में जंग रुके।

सुप्रीम लीडर ने अमरीका को मॉडर्न जेहालत का नमूना बताते हुए कहा कि पूरी दुनिया के हर भाग की तुलना में अमरीका में ज़्यादा ख़तरनाक हद तक जेहालत है। अमरीका एक ऐसी हुकूमत है जिसमें नैतिक गिरावट को बढ़ावा दिया जाता है और वहाँ भेदभाव दिन ब दिन बढ़ता जा रहा है, जबकि राष्ट्रीय संपत्ति दिन ब दिन दौलतमंदों की तरफ़ बढ़ायी जा रही है।

आयतुल्लाहिल उज़मा ख़ामेनेई ने अपनी स्पीच में कहाः दाइश, अमरीकियों के हाथों पलने वाला कुत्ता था; मेरी नज़र में युक्रेन भी उसी नीति की भेंट चढ़ा है, युक्रेन के हालात, अमरीकी नीतियों का नतीजा हैं और अमरीका ने ही युक्रेन को इस हालत तक पहुंचाया है।

सुप्रीम लीडर ने कहा कि इस देश के आंतरिक मामले में टांग अड़ाने, सरकारों के ख़िलाफ़ प्रदर्शन कराने, तरह तरह की बग़ावतें कराने, विरोधियों की सभा में अमरीकी सेनेटरों के शामिल होने के नतीजे में ऐसी चीज़ें सामने आती हैं।

उन्होंने कहा कि इसी के साथ हम यह बात भी साफ़ कर दें कि हम दुनिया में हर जगह जंग और तबाही फैलाने वाली हरकतों के ख़िलाफ़ हैं, आम लोगों के मारे जाने और क़ौमों के आधारभूत ढांचे के ध्वस्त किए जाने को सही क़रार नहीं देते और यह हमारा अटल स्टैंड है।

आयतुल्लाहिल उज़मा ख़ामेनेई ने कहा कि हम पश्चिम वालों की तरह नहीं हैं कि अगर बम, अफ़ग़ानिस्तान में शादी के जश्न पर गिराया जाए तो उसे आतंकवाद के ख़िलाफ़ कार्यवाही का नाम दें। अमरीका, पूर्वी सीरिया में क्या कर रहा है? वे लोग सीरिया के तेल और अफ़ग़ानिस्तान की संपत्ति की क्यों चोरी कर रहे हैं? पश्चिम एशिया में ज़ायोनियों के जुर्म का क्यों बचाव करते हैं?

सुप्रीम लीडर ने कहा कि हम यूक्रेन में जंग रोके जाने के समर्थक हैं और चाहते हैं कि वहाँ पर जंग ख़त्म हो, लेकिन हर संकट का हल सिर्फ़ उस वक़्त मुमकिन है जब संकट की अस्ल जड़ को पहचाना जाए। यूक्रेन में संकट की जड़ अमरीका और पश्चिम वालों की नीतियां हैं, उन्हें पहचाना जाना चाहिए और उनकी बुनियाद पर फ़ैसला किया जाना चाहिए और अगर कार्यवाही मुमकिन हो तो कार्यवाही करना चाहिए। उन्होंने कहा कि अवाम, देशों की संप्रभुता का ध्रुव हैं, अगर यूक्रेन के अवाम, मैदान में आ जाते तो इस वक़्त यूक्रेन की सरकार और अवाम की ऐसी हालत नहीं होती।

आयतुल्लाहिल उज़मा ख़ामेनेई ने पैग़म्बरे इस्लाम की पैग़म्बरी के एलान के दिन ईदे मबअस के मौक़े पर अपनी स्पीच में ईरानी राष्ट्र सहित पूरी दुनिया के मुसलमानों को इस पाकीज़ा मौक़े की बधाई देते हुए ‘अक़्लमंदी को बढ़ावा देने’ और ‘नैतिक शिक्षा के फैलाव’ को इस्लामी मूल्यों की दो मूल कड़ियां बताते हुए कहा कि पैग़म्बरे इस्लाम सल्लल्लाहो अलैहि व आलेही व सल्लम की पैग़म्बरी के एलान के ज़रिए ही जेहालत के दौर में अरब के लोग, जिनकी पहचान गुमराही, नादानी, बड़ी बड़ी साज़िश, भेदभाव, हठधर्मी, घमंड, सच बात को न मानने, नैतिक बुराइयों और यौन दुराचार से होती थी, एक संगठित, बलिदानी, शिष्ट और अच्छी ख़ूबियों से संपन्न दुनिया की इज़्ज़तदार क़ौम में बदल गए।

इस्लामी क्रांति के सुप्रीम लीडर ने मानवता के लिए इस्लाम और पैग़म्बरे इस्लाम की पैग़म्बरी का तोहफ़ा, जाहेलियत से निपटने के लिए तर्क व ग़ौर फ़िक्र, पवित्रता और नैतिक शिक्षा को बताया और पश्चिम में बड़े पैमाने पर मॉडर्न जेहालत के फैलाव का ज़िक्र करते हुए कहा कि आज नए दौर की जेहालत का सबसे साफ़ प्रतीक अमरीका की माफ़िया सरकार है जो बुनियादी तौर पर एक संकट पैदा करने वाली और संकट की आड़ में ज़िन्दा रहने वाली सरकार है।

उन्होंने इस बात पर बल देते हुए कि पैग़म्बरे इस्लाम की पैग़म्बरी और इस्लाम ने ऐसा काम कर दिखाया जो नामुमकिन लग रहा था, कहाः पैग़म्बरी का सबसे अहम सबक़ यह है कि अगर अवाम अल्लाह के इरादे के तहत आगे बढ़ें तो ऐसे कामों को अंजाम दिया जा सकता है जो इंसानी अंदाज़े के मुताबिक़ नामुमकिन लगते हैं।

आयतुल्लाहिल उज़मा ख़ामेनेई ने कहा कि बहुत से लोगों के नज़रिए के उलट, पैग़म्बरे इस्लाम के आंदोलन का मक़सद, शासन की स्थापना करना था, जिसका बैकग्राउंड ख़ुद पैग़म्बरे इस्लाम ने मुहैया किया।