दुश्मन जानते हैं कि ईरान का एटमी प्रोग्राम ग़ैर फ़ौजी है लेकिन फिर भी बेबुनियाद दावे करते हैं कि ईरान एटम बम के क़रीब पहुंच गया है। हम सिविलियन उद्देश्यों के लिए एटमी एनर्जी का इस्तेमाल करना चाहते हैं, इसे वे जानते हैं लेकिन उनकी कोशिश है कि भविष्य में ईरान बेबस नज़र आए।  
2015 और 2016 में #एटमी_डील के संदर्भ में मेरा एतेराज़ यह था कि जेसीपीओए में कुछ बिंदुओं का ध्यान रखा जाए ताकि बाद में मुश्किल पेश न आए। इनमें कुछ बिंदुओं का ख़याल नहीं रखा गया और बाद में मुश्किलें पेश आईं जो सबके सामने हैं।  
  
अवाम को इस्लामी व्यवस्था से दूर करने और उनकी सोच ख़राब करने के लिए दुश्मन के पास दो हथकंडे हैं, आर्थिक दुश्मनी और प्रचारिक दुश्मनी। नौजवानों को चाहिए कि उनका मुक़ाबला करें। ईरानी क़ौम इन दोनों हथकंडों के मुक़ाबले में डट जाए।  
 
डिप्लोमैसी के मैदान में हमारे भाई, पाबंदियां ख़त्म करवाने और दूसरे पक्षों को लाजवाब करने के लिए काम कर रहे हैं। यह अच्छी बात है लेकिन इससे ज़्यादा अहम यह है कि पाबंदियों को घरेलू पैदावार बढ़ाकर, आर्थिक गतिविधियों और नालेज बेस्ड इकानोमी के ज़रिए बेअसर बना दिया जाए।  
 इंक़ेलाब का नारा साम्राज्यवाद की मुख़ालेफ़त है। हम ख़ुदा का शुक्र अदा करते हैं कि उसने ईरानी क़ौम को प्रतिरोध की ताक़त दी। इस प्रतिरोध का असर इलाक़े के देशों पर भी पड़ा। आज इलाक़े में साम्राज्यवाद की हैबत चकनाचूर हो चुकी है और क़ौमें अमरीका के ख़िलाफ़ आवाज़ उठा रही हैं।