इस्लामी क्रांति के नेता आयतुल्लाहिल उज़मा ख़ामेनेई ने वायु सेना के कमांडरों और जवानों को संबोधित करते हुए कहा कि अभिव्यक्ति और बयान का जेहाद तत्कालिक ज़रूरत और बड़ा अवसर है।

सुप्रीम लीडर ने इस्लामी क्रांति की सफलता से ठीक तीन दिन पहले वायु सेना के कमांडरों और जवानों की ओर से इमाम ख़ुमैनी से अपनी वफ़दारी के एलान की घटना की सालगिरह पर मुलाक़ात के लिए आने वाले वायु सेना के अफ़सरों और जवानों को संबोधित करते हुए कहा कि आज दुश्मन हमला करके तथ्यों को बदलने इस्लामी शासन व्यवस्था की उपलब्धियों, सफलताओं और प्रगति पर पर्दा डालने की कोशिश कर रहा है और इस हमले के जवाब में बयान और अभिव्यक्ति का जेहाद तत्कालिक ज़रूरत है।

इस्लामी क्रांति के सुप्रीम लीडर ने कहा कि 8 फ़रवरी 1979 को वायु सेना के कमांडरों और जवानों ने जो क़दम उठाया वह दरअस्ल इमाम ख़ुमैनी के लक्ष्यों से वफ़ादारी का संकल्प और वह पवित्र जेहाद था जिसके कमांडर इमाम ख़ुमैनी थे। उन्होंने कहा कि वह पवित्र जेहाद आज भी जारी है और आज भी जो लोग इन लक्ष्यों के मार्ग पर चल रहे हैं वे इस जेहाद में भागीदार हैं।

इस्लामी क्रांति के सुप्रीम लीडर का कहना था कि उस महत्वपूर्ण क़दम की सबसे ख़ास बात वायु सेना के अफ़सरों और जवानों का समय की मांग और ज़रूरत को बख़ूबी समझ लेना और उसी के आधार पर सूझबूझ के साथ क़दम उठाना था। उन्होंने कहा कि इस अमल से यह भी साबित हुआ कि अमरीका और पहलवी तानाशही सरकार के अनुमान और तख़्मीने ग़लत थे और उन्हें वहां से मार पड़ी जिसके बारे में वे सोच भी नहीं सकते थे।

आयतुल्लाहिल उज़मा ख़ामेनेई ने कहा कि जहां भी हक़ की ताक़त कुफ़्र के मुक़ाबले में मैदान में उतरती है, दुश्मन अपनी सारी ज़ाहिरी खोखली हैबत के बावजूद अंदाज़े और तख़्मीने की ग़लती कर बैठता है। 8 फ़रवरी 1979 को पहलवी शासन के जरजर ढांचे पर वायु सेना का वार भी इसकी मिसाल है।

इस्लामी क्रांति के सुप्रीम लीडर का कहना था कि आज भी अमरीका को वहां से मार पड़ रही है जिसके बारे में उसने सोचा भी नहीं था। आज अमरीका के दो राष्ट्रपति, मौजूदा और पिछले राष्ट्रपति दोनों मिलकर इस मुल्क की रही सही इज़्ज़त को नीलाम कर रहे हैं। ख़ुद को कमज़ोर कर रहे हैं और यह सिलसिला जारी रहने वाला है।

इस्लामी क्रांति के सर्वोच्च नेता ने मीडिया की डिक्टेटरशिप को भी पश्चिमी ताक़तों की तानाशाही की एक शैली बताया और सोशल मीडिया प्लेटफ़ार्म पर शहीद जनरल क़ासिम सुलैमानी की तस्वीरें डिलीट किए जाने की घटिया हरकत का हवाला देते हुए कहा कि पश्चिमी नीतियों से विरोधाभास रखने वाली हर बात और तसवीर को वे पोस्ट होने से रोक देते हैं जबकि इसी प्लेटफ़ार्म का इस्तेमाल करके वे इस्लाम और इस्लामी गणराज्य ईरान को बदनाम करने की लगातार कोशिशें करते हैं।

इस्लामी क्रांति के वरिष्ठ नेता ने दुश्मनों की कामनाओं के विपरीत इस्लामी गणराज्य ईरान की प्रगति को ईरानी जनता के बेहतर भविष्य की निशानी बताया और कहा कि जिस तरह पिछले 43 साल के दौरान इस्लामी गणतंत्र ईरान दिन ब दिन अधिक शक्तिशाली हुआ है भविष्य में भी अतीत से बेहतर अंदाज़ में अपना सफ़र जारी रखेगा और दुश्मन को फिर नाकामी का मुंह देखना पड़ेगा।

आयतुल्लाहिल उज़मा ख़ामेनेई ने इस मुलाक़ात के मौक़े पर कोरोना वायरस की वजह से कम तादाद में लोगों की मौजूदगी का ज़िक्र करते हुए कहाः मैं हेल्थ प्रोटोकॉल्ज़ और डॉक्टरों के मशविरे पर अमल को अपने लिए हमेशा ज़रूरी समझता हूं, मास्क के इस्तेमाल की पाबंदी रखता  हूं और कुछ महीने पहले मैंने कोरोना के टीके की तीसरी डोज़ लगवाई। 

उन्होंने अवाम से इस संबंध में डाक्टरों की बात पर अमल करने पर ताकीद की।