इस मुलाक़ात में आयतुल्लाहिल उज़मा सैयद अली ख़ामेनेई ने कहा कि खेलों के मुक़ाबलों में जीत से समाज को ऊर्जा, ज़िंदादिली, इरादे और संकल्प की शक्ति मिलती है और सभी यह महसूस करते हैं कि यह शख़्स जो इस वक़्त विजेता के पायदान पर खड़ा है, उसने इरादा किया, संकल्प किया और अपनी क्षमता को व्यवहारिक रूप दिया, इस तरह वह समाज को ज़िंदादिली प्रदान करता है। वास्तव में स्पोर्ट्स के चैम्पियन, प्रतिरोध, आशा और ज़िंदादिली के शिक्षक हैं।

इस्लामी क्रांति के वरिष्ठ नेता के संबोधन के कुछ अहम अंश इस प्रकार हैं।

आप सभी का स्वागत है, आप लोगों से मिल कर ख़ुशी और गर्व का एहसास होता है। स्पोर्ट्स के मुक़ाबलों ख़ास तौर पर वैश्विक मुक़ाबलों में चैम्पियनशिप एक विशेष संदेश रखती है और वह संदेश, ऊर्जा, ज़िंदादिली, इरादे और संकल्प की शक्ति का है। यानी सभी यह महसूस करते हैं कि यह शख़्स जो चैम्पियन बना है और विजेता के पायदान पर खड़े होने में कामयाब हुआ है, उसने इरादा किया, संकल्प किया और अपनी क्षमता को व्यवहारिक रूप दिया, यह शख़्स समाज को ज़िंदादिली प्रदान करता है। ये खेल के अंतर्राष्ट्रीय मैदानों में चैम्पियनशिप के अहम संदेश हैं। वास्तव में इस तरह के चैम्पियन, प्रतिरोध, आशा और ज़िंदादिली के शिक्षक हैं।

आप अपनी चैम्पियनशिप से यह बात साबित करते हैं कि जो काम देखने में असंभव लगते हैं, वे वास्तव में संभव हैं। यह हमारे देश के लिए बहुत ही अहम चीज़ है। यह संदेश हमारे समय के लिए बहुत मूल्यवान है। बड़ी संख्या में संस्थाएं ऐसे प्रोग्राम बनाने में जुटी हुई हैं जिनके माध्यम से ईरान के नौजवानों को उम्मीद और ज़िंदादिली से दूर कर दें, उन्हें डिप्रेशन में डाल दें, नाउम्मीद कर दें। इस तरह के माहौल में आप, उम्मीद का यह पैग़ाम पूरे समाज को दे रहे हैं, यह बहुत ही मूल्यवान है।

स्पोर्ट्स की चैम्पियनशिप के बारे में एक अहम बात यह है कि मेडल लेने और चैम्पियनशिप में भी दुनिया की बहुत सी दूसरी चीज़ों की तरह सही और ग़लत पाया जाता है, उचित और अनुचित पाया जाता है। स्पोर्ट्स की कुछ जीतें और पदक, सही व उचित नहीं हैं, अनुचित हैं, मूल्यवान नहीं हैं। आपने दुनिया में इसकी बहुत सी मिसालें देखी हैं, जान बूझ कर किए जाने वाले ग़लत फ़ैसले, सियासी जोड़-तोड़ और रिश्वत देने जैसे काम जो स्पोर्ट्स के कुछ अंतर्राष्ट्रीय मुक़ाबलों में हो चुके हैं और एक खिलाड़ी जो कर सकता है, ताक़त बढ़ाने वाली दवाओं का इस्तेमाल और डोपिंग जैसे काम, यहां तक कि एक खिलाड़ी, देश को बेच कर या ख़ुद को बेच कर मेडल हासिल करता है, ऐसे मेडल की कोई हैसियत नहीं है, इस चैम्पियनशिप की कोई क़ीमत नहीं है, यह कलंक है, यह चैम्पियनशिप वह मूल्यवान चैम्पियनशिप नहीं है।

हमारी महिला खिलाड़ियों ने इस अंतर्राष्ट्रीय मुक़ाबले में इसी तरह इससे पहले के अंतर्राष्ट्रीय मुक़ाबलों में भी यह साबित किया है कि इस्लामी हिजाब, किसी भी मैदान में आगे बढ़ने में रुकावट नहीं है, जैसा कि हमने इसे राजनीति के मैदान में भी सिद्ध किया है, विज्ञान व तकनीक के मैदान में भी साबित किया है, मैनेजमेंट के मैदान में भी इसे सिद्ध किया है और स्पोर्ट्स के मैदान में भी आपने साबित कर दिया कि हिजाब औरतों की प्रगति की राह में रुकावट नहीं है, दुश्मनों और दुश्मनों की बातों पर मोहित लोगों के प्रोपेगंडों के विपरीत, जो हिजाब के बारे में कुछ बातें कहते थे, अपनी तरफ़ से कुछ बातें बयान करते थे और उन्हें फैलाते थे। आपके इस हिजाब ने दूसरे मुस्लिम देशों की औरतों को भी हिम्मत प्रदान की है। मैंने सुना है कि इन बरसों में दस से ज़्यादा मुस्लिम देशों की महिला खिलाड़ी हिजाब के साथ स्पोर्ट्स के वैश्विक मैदानों में पहुंची हैं, यह चीज़ प्रचलित नहीं थी, यह काम आपने किया, ईरान की महिला खिलाड़ियों और चैम्पियनों ने यह काम किया और इस रास्ते को खोल दिया।

अंतर्राष्ट्रीय स्पोर्ट्स के बारे में एक अहम बात, अपराध ज़ायोनी शासन से संबंधित है। यह बहुत अहम चीज़ है। जल्लाद, जातीय सफ़ाया करने वाली और अवैध ज़ायोनी सरकार कोशिश कर रही है कि खेल के अंतर्राष्ट्रीय मैदानों में अपनी मौजूदगी के बहाने अपनी क़ानूनी मान्यता तैयार कर ले, इसके लिए वह स्पोर्ट्स के मैदान का सहारा ले रही है और साम्राज्यवादी शक्तियां और उनके पिछलग्गू उसकी मदद कर रहे हैं, उसका समर्थन कर रहे हैं। इस मा मामले में मैं आपसे, स्पोर्ट्स विभाग के सम्मानीय अधिकारियों से भी और ख़ुद खिलाड़ियों से भी कहता हूं कि किसी भी स्थिति में पीछे न हटिए, कभी भी पीछे न हटिए। अलबत्ता वे लोग जवाबी कार्यवाही करेंगे, यह स्पोर्ट्स के मंत्रालय, विदेश मंत्रालय और क़ानूनी विभागों की ज़िम्मेदारी है कि वे क़ानून व कूटनीति की राहों से खिलाड़ियों का बचाव करें और उस पर अत्याचार न होने दें। हमारा स्वतंत्र और गौरवशाली खिलाड़ी एक मेडल के लिए मैदान में एक अपराधी सरकार के प्रतिनिधि से हाथ नहीं मिला सकता और उसे व्यवहारिक रूप से मान्यता नहीं दे सकता।

अलबत्ता अतीत में इसका नमूना भी मौजूद है। आज ज़ायोनी शासन के लिए हंगामा मचाते हैं लेकिन अतीत में दक्षिणी अफ़्रीक़ा की पूर्व अपार्थाइड सरकार इसी तरह की थी। दुनिया के बहुत से खिलाड़ी उसके (खिलाड़ियों के) साथ नहीं खेलते थे। वह सरकार समाप्त हो कर नष्ट हो गई, यह भी ख़त्म हो जाएगी, यह भी नष्ट हो जाएगी, इस लिए यह बहुत अहम बात है कि हमारी संस्थाएं, ईरानी खिलाड़ियों के अधिकारों बल्कि ग़ैर ईरानी खिलाड़ियों के अधिकारों की रक्षा करें जिन्हें ज़ायोनी सरकार के प्रतिनिधि के साथ न खेलने की वजह से प्रतिबंध वग़ैरा का सामना करना पड़ा है, जैसे इस बार अलजीरिया के एक खिलाड़ी के साथ हुआ, इन खिलाड़ियों की मदद और इनका समर्थन किया जाना चाहिए।

एक बिंदु स्थानीय ईरानी खेलों के बारे में है। मैंने पहले भी इस पर कई बार बल दिया है। चोगान (पोलो) एक ईरानी खेल है, बल्कि यह अस्ल में हमारा ही है लेकिन दूसरे चोगान से फ़ायदा उठा रहे हैं और हम बहुत कम। जबकि चोगान आपका है और यह पर्यटन को बढ़ावा देने और इसी तरह के दूसरे कामों में भी अहम सिद्ध हो सकता है। इस तरह के खेल बहुत अच्छे हैं। इसी तरह ईरानी ट्रेनरों से लाभ उठाना, जिसकी तरफ़ हमारे इस भाई ने भी इशारा किया, यह भी उन सिफ़ारिशों में से एक है जिन पर हम हमेशा बल देते हैं कि जहां तक संभव हो सके, ईरानी कोच को इस्तेमाल किया जाए। अल्लाह से दुआ है कि वह आप सब को कामयाब करे और आप सबको स्वस्थ रखे।