07/01/2025
यहया इब्राहीम हसन सिनवार की दास्तान, सिर्फ़ एक इंसान की दास्तान नहीं है। यह नाजायज़ क़ब्ज़े के ख़िलाफ़ संघर्ष, प्रतिरोध और एक लड़ाई की दास्तान है जिसका दशकों से प्रभाव न सिर्फ़ पश्चिमी एशिया के इलाक़े बल्कि दुनिया पर पड़ा है। उन्होंने हिब्रू ज़बान भी सीखी, वह अपनी क़ौम और अपनी सरज़मीन के दुश्मनों को पहचानते थे और उनके आस-पास के लोग उनका सम्मान भी करते थे।
23/10/2024
अगर शहीद सिनवार जैसे लोग न होते जो आख़िरी लम्हे तक लड़ते रहे तो क्षेत्र का भविष्य किसी और तरह का होता। अगर सैयद नसरुल्लाह जैसे महान लोग न होते तो आंदोलन किसी और तरह का होता, अब जब ऐसे लोग हैं तो आंदोलन किसी और तरह का है।