27/10/2023
हमें हज़रत मासूमा-ए-क़ुम से अपनी क्षमता भर फ़ैज़ हासिल करना चाहिए। आप इमाम की बेटी हैं। इमाम की बेटी, इमाम की बहन, इमाम की फुफी। यह कितना अज़ीम मर्तबा है?! आपके ज़ियारतनामे में हैः ऐ फ़ातेमा मासूमा! आप बहिश्त में जाने के लिए हमारी शिफ़ाअत कीजिए! क्योंकि अल्लाह की बारगाह में आप बड़ी अज़ीम शान व स्थान की मालिक हैं। इमाम ख़ामेनेई 19 जुलाई 1992
31/05/2022
यक़ीनन क़ुम को क़ुम बनाने और इस तारीख़ी-मज़हबी शहर को ख़ास अज़मत ‎दिलाने में हज़रत मासूमा का किरदार नुमायां है। इसमें किसी को कोई संदेह ‎नहीं। यह अज़ीम हस्ती और ख़ानदाने पैग़म्बर में परवरिश पाने वाली नौजवान ‎ख़ातून इमामों के अक़ीदतमंदों, साथियों और चाहने वालों के बीच अपनी ‎गतिविधियों के ज़रिए, अलग अलग शहरों से गुज़र कर, पूरे रास्ते में लोगों के ‎बीच ज्ञान और मुहब्बते अहलेबैत की ख़ुशबू फैला कर और फिर इस इलाक़े में ‎पहुंच कर और क़ुम में ठहर कर, इस बात का कारण बनीं कि यह शहर ज़ालिम ‎हुकूमत के उस तारीक दौर में ख़ानदाने पैग़म्बर के उलूम और शिक्षाओं के अहम ‎मरकज़ की हैसियत से जगमगा उठे और वह मरकज़ बन जाए जो अहलेबैत के ‎उलूम और उनकी शिक्षाओं की रौशनी पूरे इस्लामी जगत में और दुनिया के ‎पूरब व पश्चिम तक पहुंचा दे। ‎ इमाम ख़ामेनेई ‎ ‎21 अकतूबर 2010‎
16/11/2021
अहले बैत की छत्रछाया में पलने वाली हस्ती के क़दम जब क़ुम में पड़े तो यह शहर इल्म का अमर ‎स्रोत बन गया। इमाम ख़ामेनेई, ‎12-06-2021‎
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