रज़ब का महीना, दुआ का महीना है, तवस्सुल का महीना है। अल्लाह का शुक्र है कि चौदह मासूमों की ओर से इस महीने में जो विश्वसनीय दुआएं आयी हैं वो बहुत अच्छी और उच्च अर्थों वाली दुआएं हैं। इन्शाअल्लाह, इनसे फ़ायदा उठाया जाए।
दुआ, मुश्किलों के हल की कुंजी, अल्लाह की याद और मन की पाकीज़गी का ज़रिया है और रजब का महीना उन लोगों की ईद है जो अपने मन को पाक करने का इरादा रखते हैं।
इमाम ख़ामेनेई
9 अप्रैल 2018
जब इंसान ग़फ़लत की हालत से बाहर निकल आए और इस ओर उसका ध्यान रहे कि उसे देखा जा रहा है, उसका हिसाब किया जा रहा है। हम लिखते लिखवाते रहते थे जो कुछ तुम करते थे।(सूरए जासिया-आयत-29) उसकी सभी हरकतें, हिलना डुलना और काम अल्लाह के सामने हैं तो स्वाभाविक तौर पर वह एहतियात करेगा।
आयतुल्लाहिल उज़मा ख़ामेनेई ने 24 सितम्बर 1982 को अपनी एक तक़रीर में फ़रज़ंदे रसूल इमाम मुहम्मद बाक़िर अलैहिस्सलाम की शख़्सियत के कुछ पहलुओं का जायज़ा लिया और इमाम के तारीख़ी सफ़रे शाम के सिलसिले में बड़े अहम बिंदुओं पर रौशनी डाली। तक़रीर के कुछ चुनिंदा हिस्से निम्नलिखित हैं।
इस महीने में जितना ज़्यादा हो सके अल्लाह की बारगाह में दुआ व मुनाजात कीजिए और अहलेबैत को वसीला क़रार दीजिए! अल्लाह की याद में रहिए! अगर हम सब, अल्लाह से अपने संपर्क को मज़बूत बनाएं तो बहुत से मसले, मुश्किलें, परेशानियां, रुकावटें अपने आप ही दूर हो जाएंगी।
रजब महीने का हर दिन अल्लाह की एक नेमत है। एक अक़्लमंद, होशियार व जागरुक इंसान इसके लम्हों में से हर लम्हे में ऐसी चीज़ हासिल कर सकता है कि जिसके सामने दुनिया की सारी नेमतें महत्वहीन हैं। यानी अल्लाह की मर्ज़ी, लुत्फ़, इनायत और तवज्जो हासिल कर सकता है।
इमाम ख़ामेनेई
8 फ़रवरी 1991
अगर इंसान अक़्लमंद, होशियार और जागरूक हो तो इसके हर लम्हे से वह चीज़ हासिल कर सकता है जिसके सामने दुनिया की सारी नेमतें मामूली हैं। यानी अल्लाह की रज़ामंदी, करम, इनायत और तवज्जो हासिल कर सकता है।
इमाम ख़ामेनेई
8 फ़रवरी 1991