18 ज़िलहिज्जा सन 10 हिजरी का दिन, ग़दीर के एलान और अमीरुल मोमेनीन की जानशीनी के एलान का दिन वह दिन है जब काफ़िर मायूस हो गए। इस बारे में कि वो दीने इस्लाम को मिटा सकेंगे। इस दिन से पहले तक उन्हें यह उम्मीद थी कि ऐसा कर ले जाएंगे। लेकिन इस दिन उनकी उम्मीद मर गई।
ग़दीर का वाक़ेया इस्लाम की वास्तविक भावना और विषयवस्तु से निकला है। यह जो अल्लाह ने पैग़म्बरे इस्लाम के स्वर्गवास से क़रीब 70 दिन पहले उनसे यह फ़रमाया कि ऐ रसूल जो हुक्म आपको दिया गया है, उसे लोगों तक पहुंचा दीजिए और अगर आपने यह न पहुंचाया तो आपने अपनी ज़िम्मेदारी ही अदा न की, इससे पता चलता है कि इस्लाम की वास्तविक भावना और इस्लाम की वास्तविक विषयवस्तु ग़दीर में निहित है।
इमाम ख़ामेनेई
20/02/2003
राष्ट्रपति चुनाव के मौक़े पर इस्लामी इंक़ेलाब के नेताः
इस्लामी इंक़ेलाब के नेता आयतुल्लाह ख़ामेनेई ने ईदे ग़दीर के मौक़े पर राष्ट्रपति चुनाव के निकट अवाम की एक सभा को ख़ेताब करते हुए ईरानी राष्ट्र और दुनिया के सारे मुसलमानों को अल्लाह की सबसे बड़ी ईद ईदे ग़दीर की मुबारकबाद पेश की और ग़दीर के वाक़ए को इस्लामी शासन का क्रम जारी रहने और इस्लामी जीवन शैली के आगे बढ़ने की पृष्ठिभूमि क़रार दिया।
मंगलवार 25 जून को सुबह तेहरान में इमाम ख़ुमैनी इमामबाड़े में ईदे ग़दीर के मौक़े पर "विलायत व बंधुत्व" शीर्षक के तहत जश्न का आयोजन होगा जिसे आयतुल्लाहिल उज़मा ख़ामेनेई ख़ेताब करेंगे और इस कार्यक्रम को लाइव प्रसारित किया जाएगा।
गदीर का मसला अपनी आला विषयवस्तु के साथ सभी मुसलमानों से संबंधित है क्योंकि यह न्याय की हुक्मरानी, महानता की हुक्मरानी और अल्लाह की विलायत की हुक्मरानी के मानी में है। अगर हम भी सही मानी में अमीरुल मोमेनीन की विलायत से नाता जोड़ने वालों में शामिल होना चाहते हैं तो हमें अपने आपको, अपनी ज़िंदगी के माहौल को न्याय व इंसाफ़ के क़रीब करना होगा। सबसे बड़ा नमूना यह है कि हमसे जितना भी हो सके न्याय क़ायम करें क्योंकि न्याय का दायरा असीम है।
इमाम ख़ामेनेई
20/02/2003
हज़रत आदम के ज़माने से जब नबूव्वत और पैग़म्बरी का सिलसिला शुरू हुआ, वह जगह जहाँ धर्म और राजनीति के इकट्टा होने का अनोखा व बेजोड़ नमूना अपने चरम पर एक अमर परंपरा के तौर पर सामने आया जो समाज के मार्गदर्शन को सुनिश्चित करता था, वह ग़दीर का वाक़ेया था।
इमाम ख़ामेनेई
03/03/2002
ईदे ग़दीर के दिन इस्लामी विलायत यानी लोगों के दरमियान अल्लाह की विलायत की झलक नज़र आई। इस तरह दीन मुकम्मल हुआ। इस विषय को बयान किए बग़ैर दीन अधूरा रह जाता और यही वजह है कि लोगों पर इस्लाम की नेमत मुकम्मल हुई।
इमाम ख़ामेनेई
11 जुलाई 1990
ग़दीर से इस्लामी समाज के लिए हुकूमत और सत्ता का नियम तय हुआ और उसकी बुनियाद पड़ी। ग़दीर की अहमियत इसी बात में है। यह बात साफ़ हो गयी कि इस्लामी समाज, शाही हुकूमत की जगह नहीं है। व्यक्तिगत हुकूमत की जगह नहीं है, दौलत व ताक़त के ज़ोर पर हुकूमत की जगह नहीं है, एरिस्टोक्रेटिक हुकूमत की जगह नहीं है।
इमाम ख़ामेनेई
जो लोग इस्लाम को समाजी व सियासी मैदानों से बाहर रखना चाहते हैं और उसे व्यक्तिगत मामलों और निजी ज़िंदगी तक सीमित कर देना चाहते हैं उनका जवाब ग़दीर का वाक़या है।
इमाम ख़ामेनेई
13 अकतूबर 2014
कायनात में और आलमे इंसानियत में हज़रत अली अलैहिस्सलाम की ज़बान से निकले ये जुमले आज तक गूंज रहे हैं: ऐ दुनिया के जलवो! ऐ दुनिया की कशिश! ऐ वो ख़्वाहिशो! जो बड़े मज़बूत इंसानों को भी अपने जाल में फंसा लेती हैं, जाओ जाकर अली के अलावा किसी और को धोखा देने की कोशिश करो। अली इन चीज़ों से कहीं ज़्यादा बुलंद और मज़बूत है।
इमाम ख़ामेनेई
30 जनवरी 1991