इस्लामी जगत की सरहद आज ग़ज़ा में है। आज इस्लामी जगत की नब्ज़ ग़ज़ा में धड़क रही है। ग़ज़ा के लोग कुफ़्र की दुनिया, सरकशी की दुनिया, साम्राज्यवाद की दुनिया और अमरीका के मुक़ाबले में खड़े हुए हैं।
10 मार्च 2019 को जनरल क़ासिम सुलैमानी को निशाने ज़ुल्फ़ेक़ार दिए जाने के मौक़े पर इस्लामी इंक़ेलाब के नेता की संक्षेप में अहम बातचीत। शहीद की बर्सी के मौक़े पर यह वीडियो पेश है।
बुधवार की सुबह हज़ारों महिलाओं ने इस्लामी इंक़ेलाब के नेता से मुलाक़ात की। तेहरान के इमाम ख़ुमैनी इमामबाड़े में इस्लामी इंक़ेलाब के नेता जिस वक़्त दाख़िल हुए तो महिलाओं में जोश देखने लायक़ था।
27/12/2023
इस बात में बिलकुल भी शक न कीजिए कि एक दिन क़ाबिज़ ज़ायोनी सरकार जड़ से ख़त्म हो जाएगी। अल्लाह की मदद, ताक़त और इजाज़त से यह काम होकर रहेगा। आप नौजवान इंशाअल्लाह, उस दिन को अपनी आँखों से देखेंगे।
आज कुछ लोग अल्लाह के महानब पैग़म्बर हज़रत ईसा के अनुसरण का दावा करने के बावजूद फ़िरऔन और दुष्ट ताक़तों के स्थान पर बैठे हैं जिनसे हज़रत ईसा संघर्ष किया करते थे।
इमाम ख़ामेनेई
27 दिसम्बर 2000
किरमान प्रांत और ख़ूज़िस्तान प्रांत के अवाम की एक बड़ी तादाद आयतुल्लाह ख़ामेनेई से मुलाक़ात के लिए तेहरान के इमाम ख़ुमैनी इमामबाड़े में पहुंची है।23/12/2023
अमरीका, युद्ध विराम के प्रस्ताव को यूएन सेक्युरिटी काउंसिल में बड़ी बेशर्मी से वीटो कर देता है। वीटो करने का मतलब क्या है? मतलब यह है कि वो बच्चों, औरतों, मरीज़ों, बूढ़ों और निहत्थे लोगों पर बम गिराने में ज़ायोनी सरकार का साथ देता है।
इमाम ख़ामेनेई
23/12/2023
आर्थिक सहयोग को केन्द्र में रखकर अमरीका विरोधी देशों का एलायंस अहम अंतर्राष्ट्रीय मसलों जैसे फ़िलिस्तीन के विषय में समान और असरदार स्टैंड ले सकता है।
इमाम ख़ामेनेई
4 दिसम्बर 2023
मैं शुक्रिया अदा करता हूं उन सभी खिलाड़ियों का जिन्होंने किसी न किसी तरह, फ़िलिस्तीन का समर्थन किया और इस समर्थन का पूरी दुनिया के सामने, छुप कर नहीं, खुल कर एलान किया, अपने मेडल ग़ज़्ज़ा के बच्चों को दिये।
यह त्रासदी जो क़रीब 50 दिन में घटी, उन अपराधों का निचोड़ है जो ज़ायोनी सरकार पिछले 75 साल से फ़िलिस्तीन में अंजाम दे रही है। क़त्ले आम करती है, अवाम को बेघर करती है, उनके घरों को ढा देती है।
इमाम ख़ामेनेई
1/11/2023
रेज़िस्टेंस को विजय मिली। नया नक़्शा जो धीरे-धीरे लागू हो रहा है, उसकी पहली ख़ासियत डि-अमेरिकनाइज़ेशन है। डि-अमेरिकनाइज़ेशन यानी इलाक़े पर अमरीकी वर्चस्व को ख़त्म कर देना।
अच्छी गुफ़्तगू, इंसान के माल में इज़ाफ़ा करती है, इंसान की रोज़ी बढ़ाती है, उसमें इज़ाफ़ा कर देती है इंसान की मौत टाल देती है और उसे अपने घरवालों के बीच लोकप्रिय बना देती है।
यह तूफ़ान अलअक़सा आप्रेशन बेशक ज़ायोनी सरकार के ख़िलाफ़ हुआ लेकिन दरअस्ल अमरीकी असर को मिटा देने वाला है इंशाअल्लाह यह तूफ़ान जारी रहा तो इस शेड्यूल को पूरी तरह मिटा देगा।
इस्लामी जगत यह न भूले कि इस अहम व निर्णायक मामले में जो इस्लाम के ख़िलाफ़, इस्लामी मिल्लत के ख़िलाफ़, मज़लूम फ़िलिस्तीन के ख़िलाफ़ खड़ा है, वह अमरीका है, फ़्रांस है, ब्रिटेन है, अकेला ज़ायोनी शासन नहीं है।
तेहरान के इमाम ख़ुमैनी इमामबाड़े में सुप्रीम लीडर का प्रवेश, खिलाड़ियों, मेडल जीतने वालों और खेल के मैदान के कार्यकर्ताओं के स्वागत में स्पोर्ट्स का माहौल
22/11/2023
ज़ायोनी, फ़िलिस्तीन में इस्लामी आस्था का मुसलमसल अनादर करते हैं, मस्जिदुल अक़्सा पर ज़ायोनियों के हमले से हर मुसलमान के दिल को चोट पहुंचती है, ऐसे ज़ुल्म पर एक ग़ैरतमंद क़ौम का रिएक्शन क्या होगा? ज़ाहिर सी बात है कि वह तूफ़ान बरपा कर देगी।
अमरीका के राष्ट्रपति, जर्मनी के चांसलर, फ़्रांस के राष्ट्रपति और ब्रिटेन के प्रधान मंत्री, ये सबके सब नस्लपरस्ती को मानते हैं और नस्लपरस्ती का किसी भी तरह विरोध नहीं करते हैं।
अमरीकी ग़ज़ा में जारी ज़ायोनियों के अपराधों में शरीक हैं। अगर उनकी सामरिक व राजनैतिक मदद न हो तो ज़ायोनी सरकार अपनी कार्यवाहियां जारी रख पाने के क़ाबिल नहीं रहेगी।
इमाम ख़ामेनेई
6 नवम्बर 2023
इस्लामी दुनिया यह न भूले कि इस अहम व निर्णायक मसले में इस्लाम के मुक़ाबले में, मुस्लिम क़ौम के मुक़ाबले में, मज़लूम फ़िलिस्तीन के मुक़ाबले में जो खड़ा है वह अमरीका है, फ़्रांस है, ब्रिटेन है।
इन दिनों जो नीतियां चल रही हैं, यानी हालिया हफ़्ते में ज़ायोनी सरकार के भीतर जो नीति चल रही है, उसे अमरीकी तय कर रहे हैं, मतलब यह कि पॉलिसी मेकर वो हैं और जो यह काम हो रहे हैं, वो अमरीकियों की नीतियों के तहत हैं।
इमाम ख़ामेनेई
17 अक्तूबर 2023
यह जो आप देख रहे हैं कि अमरीका के राष्ट्रपति, ज़ालिम व दुष्ट मुल्कों ब्रिटेन, फ़्रांस और जर्मनी के राष्ट्राध्यक्ष एक के बाद एक वहाँ जा रहे हैं! इसकी वजह क्या है? वजह यह है कि वो देख रहे हैं कि (क़ाबिज़ ज़ायोनी शासन) बिखरता जा रहा है।
अगर आप देखें कि वह राह जिस पर आप चल रहे हैं, कुफ़्फ़ार उससे ख़ुश होते हैं, तो जान लीजिए कि वह रास्ता ‘वो काफ़िरों पर सख़्त हैं’ वाला रास्ता नहीं हैं, तो आप पैग़म्बरे इस्लाम के साथ नहीं हैं, पैग़म्बर के हमराह नहीं हैं।
इमाम ख़ामेनेई
12/09/2023
इस (ग़ज़ा के) मसले में अमरीका यक़ीनी तौर पर अपराधियों का भागीदार है। यानी इन अपराधों में अमरीका के हाथ कोहनियों तक मज़लूमों, बच्चों, बीमारों, औरतों के ख़ून में डूबे हुए हैं।
बमबारी फ़ौरन रुकना चाहिए। मुसलमान क़ौमों में क्रोध है। बहुत ज़्यादा ग़ुस्से में हैं। बहुत सी सूचनाएं हैं जो हमें यह बताती हैं कि ज़ायोनी सरकार के भीतर जो नीति चल रही है, उसे अमरीकी तय कर रहे हैं। अमरीकी अपनी ज़िम्मेदारी पर ध्यान दें, वो जवाबदेह हैं।
फ़िलिस्तीन के मामले में जो चीज़ पूरी दुनिया की नज़रों के सामने है वह क़ाबिज़ सरकार के हाथों नस्ली सफ़ाए का जुर्म है। यह पूरी दुनिया देख रही है। अब तक ग़ज़्ज़ा के कई हज़ार फ़िलिस्तीनी शहीद हो चुके हैं, इन्हीं कुछ दिनों में। आज की क़ाबिज़ ज़ायोनी सरकार पर निश्चित तौर पर मुक़दमा चलाया जाना चाहिए।