02/05/2022
ईमान, अख़लाक़ और अमल की पाकीज़ा जन्नत में दाख़िल होना, नामुनासिब अमल, नापसंदीदा अख़लाक़ और आदतों, ग़लत आस्था व अक़ीदे के जहन्नम से निकलना, ईदे फ़ित्र की दुआ का लक्ष्य है। 
30/04/2022
जब तक बैतुल मुक़द्दस पर ज़ालिम ज़ायोनियों का क़ब्ज़ा है, साल के हर दिन को क़ुद्स दिवस समझना चाहिए।
30/04/2022
युक्रेन के मामले में आसमान सिर पर उठा लेने वाले यूरोप और अमरीका में मानवाधिकार की रक्षा के झूठे दावेदारों ने, फ़िलिस्तीन में इतने ज़ुल्म व सितम पर अपने होंठ सी लिए हैं। 
29/04/2022
हमारे महान इमाम (स्वर्गीय इमाम ख़ुमैनी) ने एलान किया कि इस क्रांति का एक मक़सद फ़िलिस्तीन की आज़ादी और ...
28/04/2022
अमरीकी और अमरीका के पिट्ठुओं की नीतियों के बरख़िलाफ़ जो चाहते थे कि फ़िलिस्तीन के मुद्दे को भुला दिया जाए, दिन ब दिन फ़िलिस्तीन का मुद्दा उभरता जा रहा है। 
27/04/2022
अल्लाह की याद गिड़गिड़ा कर और डर की हालत में करना चाहिए। इस तरह से उसे याद करना तमाम बरकतों की अस्ल है। 
27/04/2022
अल्लाह की तरफ़ से जो हमारा इम्तेहान लिया जाता है, वह मक़सद की ओर एक क़दम है। 
25/04/2022
हर दुआ को क़ुबूल किया जाता है। दुआ के क़ुबूल होने का मतलब, अल्लाह की तरफ़ से हम पर नज़र और हम पर उसका ध्यान दिया जाना है। 
23/04/2022
अमीरुल मोमेनीन हज़रत अली अलैहिस्सलाम की नज़र में शहादत, ख़ुशख़बरी और शुक्र का मक़ाम है। 
22/04/2022
इमाम ख़ामेनेईः नहजुल बलाग़ा आकर्षण की इंतेहा है। अलफ़ाज़ की ख़ूबसूरती और अर्थों का हुस्न है। इंसान दंग रह जाता है। 31 दिसम्बर 1999
21/04/2022
शबे क़द्र में, अपने मुल्क, इस्लामी दुनिया और ज़मीन पर जो लोग हैं, उन सबकी ज़रूरतों पर ध्यान दें। उन सबके लिए शबे क़द्र में एक एक के लिए दुआ करें।
07/04/2022
कुछ लोग रमज़ान के महीने में रोज़ा रखने के साथ ही साथ, क़ुरआने मजीद से सीख हासिल करने का काम कई गुना बढ़ा देते हैं।
06/04/2022
रोज़ा अल्लाह की राह में, अल्लाह के लिए और उसकी ख़ातिर रख रहा हूं।
05/04/2022
इस महीने में ख़ुदा अपने बन्दों को अपना मेहमान बनाता है जो दरअस्ल, रूहानी दावत होती है.
03/04/2022
जिस तरह चौबीस घंटों में नमाज़ के वक़्त इस लिए रखे गये हैं कि इन्सान, कुछ देर के लिए दुनियावी चीज़ों से बाहर आ जाएं, उसी तरह  साल में रमज़ान का महीना भी वह मौक़ा है.
02/04/2022
मोमिन इंसान रमज़ान के पहले दिन इस ख़ास जज़्बे के साथ अल्लाह की मेहमानी में पहुंचता है।
29/03/2022
हमारी क़ौम ने साम्राज्य के मुक़ाबले में झुकने के बजाए प्रतिरोध का रास्ता चुना, यही सही फ़ैसला था। जब हम दुनिया के हालात को देखते हैं तो महसूस होता है कि यह फ़ैसला बिल्कुल दुरुस्त था।
27/03/2022
इन घटनाओं को जब इंसान देखता है, तो महसूस करता है कि दुनिया में कितना ज़ुल्म फ़ैला हुआ है?! इमाम ख़ामेनेई 21 मार्च 2022
17/03/2022
इंसानी कारवां के सफ़र के ख़त्म होने की जगह के बारे में आसमानी धर्मों का अक़ीदा और नज़रिया बड़ा उम्मीद बख़्श है। वाक़ई इमाम महदी अलैहिस्सलाम के ज़ुहूर का मुंतज़िर रहना, इस्लामी समाज के लिए उम्मीद का दरीचा है। इमाम ख़ामेनेई की स्पीच का एक भाग
12/03/2022
तहरीक और इंक़ेलाब की कामयाबी का राज़ है लगातार जिद्दोजेहद ... इमाम ख़ामेनेई   17 फ़रवरी 2022
07/03/2022
हज़रत इमाम हुसैन अलैहिस्सलाम की पैदाइश का दिन अज़ीम दिन है। तीन शाबान की महानता को इमाम हुसैन अलैहिस्सलाम की महानता की एक झलक के तौर पर देखने की ज़रूरत है।  इमाम ख़ामेनेई   12 जून 2013
04/03/2022
पैग़म्बरे इस्लाम ने जाहेलियत के दौर के जज़ीरए अरब के लोगों को उम्मते इस्लामी जैसी फ़ज़ीलतों वाली क़ौम में तब्दील कर दिया। इमाम ख़ामेनेई   17 फ़रवरी 2022
03/03/2022
वह पुलिस जिसने तौहीन की है, ख़ुद आकर माफ़ी मांगने पर और इस तस्वीर को शहर में कई जगहों पर दोबारा लगाने की लोगों की मांग मानने पर मजबूर हो जाती है। यह मॉडल, आकर्षक है।  इमाम ख़ामेनेई   17 फ़रवरी 2022
01/03/2022
इल्म, ताक़त है साइंस सच में ताक़त और वर्चस्व है। यह जो मश्हूर शेर है “जो इल्म वाला होगा वह ताक़तवर होगा” वह बिल्कुल सही है। ताक़तवर होगा जो आलिम होगा। साइंस किसी भी मुल्क के लिए ताक़त है, यह मुल्क को ताक़तवर बनाती है। हमने साइंस के बहुत से मैदानों में ऐसी तरक्क़ी की है जिसके बारे में हम इन्क़ेलाब के शुरु में सोच भी नहीं सकते थे। इमाम ख़ामेनेई  17 फ़रवरी 2022
14/02/2022
हज़रत अली (अ.स.) की शख़्सियत वह है कि अगर आप शिया हैं तब भी उनका एहतेराम करेंगे, अगर सुन्नी हैं तब भी उनका एहतेराम करेंगे, मुसलमान नहीं हैं तब भी अगर आप इस हस्ती से वाक़िफ़ हैं और उनकी ज़िंदगी के हालात से आगाही रखते हैं तो उनका एहतेराम करेंगे। इमाम ख़ामेनेई, 20 सितम्बर 2016
11/02/2022
बदलाव लाना दीन की सब से बड़ी ज़िम्मेदारी थी। आशूरा का पैग़ाम भी बदलाव और इन्क़ेलाब का पैग़ाम है। हमारे दौर में इस तरह के बदलाव का एक नमूना, ईरान का ‎इस्लामी इन्क़ेलाब है। इस्लामी इन्क़ेलाब के अज़ीम, रहनुमा इमाम ‎खुमैनी ने बदलाव के इस सिलसिले को आगे बढ़ाया और सिर्फ ईरान ‎को ही नहीं बल्कि पूरी इस्लामी दुनिया को बदल कर रखा दिया।