जब हम बड़े मामलों में साम्राज्यवादी ताक़तों के ख़िलाफ़ संघर्ष के विषय में अल्लाह पर यक़ीन की बात करते हैं तो इसके ख़ास मानी होते हैं। इस जगह अल्लाह पर यक़ीन का मतलब उसके वादों पर यक़ीन है। अल्लाह ने क़ुरआने मजीद में कुछ वादे किए हैं, इन वादों के ख़िलाफ़ नहीं हो सकता। अल्लाह ने वादा किया हैः “ऐ ईमान वालो! अगर तुम अल्लाह की मदद करोगे तो अल्लाह तुम्हारी मदद करेगा और तुम्हे साबित क़दम रखेगा” (सूरए मोहम्मद, आयत-7), इसी तरह वादा किया हैः “जो कोई अल्लाह (के दीन) की मदद करेगा अल्लाह ज़रूर उसकी मदद करेगा।” (सूरए हज, आयत-40), और इसी तरह वादा किया हैः “बेशक अल्लाह, अहले ईमान की तरफ़ से दिफ़ा करता है” (सूरए हज, आयत-38) ये अल्लाह के वादे हैं। “बेशक अल्लाह कभी वादा ख़िलाफ़ी नहीं करता” (सूरए आले इमरान, आयत-9) अल्लाह अपने वादों की ख़िलाफ़वर्ज़ी नहीं करता। इमाम ख़ामेनेई 04/06/2023