एक दूसरे के प्रति मियां-बीवी की आपसी ज़िम्मेदारियां अलग अलग हैं लेकिन इनमें संतुलन पाया जाता है। अल्लाह क़ुरआन में सूरए बक़रह की आयत 228 में इरशाद फ़रमाता हैः “और दस्तूरे शरीअत के मुताबिक़ औरतों के कुछ हुक़ूक़ हैं जिस तरह मर्दों के हुक़ूक़ हैं” जितना हक़ उन (बीवियों) का है उतना ही हक़ उनके (शौहरों) का है यानी जितनी एक बात हक़ के तौर पर उन (औरतों) से संबंधित है उतनी ही एक बात उनके सामने वाले पक्ष (पुरूष) से भी संबंध रखती है, मतलब यह कि उनके भी कांधों पर उतनी ही ज़िम्मेदारी है। यानी किसी पर जो भी ज़िम्मेदारी डाली गयी है उसके बदले में उसे एक हक़ भी दिया गया है। जिसे भी जो विशेष हक़ दिया गया है उसके मुक़ाबले में एक ज़िम्मेदारी भी रखी गयी है, पूरी तरह से संतुलन।
इमाम ख़ामेनेई
04/01/2023