सूरए हज की इक्तालीसवीं आयत के इस हिस्से से हम सबके लिए फ़रीज़ा साफ़ तौर पर बयान हो गया है "ये वे लोग हैं कि अगर हम उन्हें ज़मीन में इक़्तेदार अता करें तो वो नमाज़ क़ायम करेंगे, ज़कात देंगे, नेकी का हुक्म देंगे और बुराई से रोकेंगे", इस्लामी सरकार का फ़रीज़ा है कि वह अल्लाह की बंदगी, अल्लाह की ओर ध्यान और अध्यात्म की ओर ध्यान को बढ़ावा देने की कोशिश करे। नमाज़ क़ायम करने का मक़सद यही है कि बंदगी की भावना इस्लामी गणराज्य में फैले। अच्छाइयों की दावत देना और बुराइयों से रोकना, नमाज़ की तरह, ज़कात की तरह फ़रीज़े का हिस्सा है और एक रिवायत के मुताबिक़, नेकियों का हुक्म, अल्लाह के सभी हुक्मों में यहाँ तक कि जेहाद से भी ज़्यादा अहमियत रखता है।
इमाम ख़ामेनेई
06/07/2012