मैं ज़्यादातर जिस वक़्त अपने लिए, दूसरों के लिए और अधिकारियों के लिए बेअमली का एहसास करता हूं तो यह आयत मुझे याद आ जाती है “और ज़ुन्नून (मछली वाले) का (ज़िक्र कीजिए) जब वो ग़ुस्सा होकर चले गए और वो समझे कि हम उन पर तंगी नहीं करेंगे” (सूरए अंबिया, आयत-87) हम समझते हैं कि इस लापरवाही, अहमियत न देने और बेअमली पर अल्लाह की ओर से रिएक्शन नहीं आएगा! क्यों नहीं, ज़रूर आएगा। यानी यह बात हमारे लिए अमली शक्ल अख़्तियार कर लेगी और ख़ुद को ज़ाहिर कर देगी। इमाम ख़ामेनेई 25/02/2021