मुसलमान घरानों में एक दूसरे से जुड़ी हुई और आपस में एक दूसरे को हक़ और सब्र की नसीहत करने वाली ‎इकाई मौजूद है। क़ुरआन कहता है कि ऐ ईमान वालो! अपने आपको और अपने परिवार के लोगों को जहन्नम की ‎उस आग से बचाओ जिसका ईंधन आदमी और पत्थर हैं। (सूरए तहरीम, आयत-6) अपनी भी हिफ़ाज़त कीजिए और अपने परिवार के ‎लोगों की भी। यह ख़ेताब मर्दों और औरतों दोनों से है। यहाँ हर इंसान के परिवार और रिश्तेदार मुराद हैं।‏ ‏आप ‎ख़ुद को भी आग का ईंधन बनने से बचाइए और अपने परिवार को भी आग में डाले जाने से बचाइए। इसके ‎अलावा ख़ानदान के अंदर मौजूद उसके बुनियादी सुतूनों की हिफ़ाज़त ख़ुद इंसान की हिफ़ाज़त में भी मददगार ‎साबित हो सकती है। मियां बीवी एक दूसरे को, औरतें, मर्दों को और मर्द, औरतों को जहन्नम में जाने से बचा ‎सकते हैं और जन्नत में पहुंचा सकते हैं। इमाम ख़ामेनेई 15 अगस्त 2004
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