क़ुरआन मजीद ने सत्ता के मालिक मोमिन की तारीफ़ करते हुए उनके फ़रीज़ों में सबसे ऊपर “नमाज़ क़ायम करने” का नाम लिया हैः "ये वे लोग हैं कि अगर हम उन्हें ज़मीन में इक़्तेदार अता करें तो वे नमाज़ क़ायम करेंगे।" (सूरए हज आयत-41) (मोमिन के) व्यक्तिगत कर्म में यह फ़रीज़ा नमाज़ में कैफ़ियत लाने के मक़सद से है और सामूहिक कर्म में नमाज़ के चलन के लिए है। नमाज़ में कैफ़ियत लाने का मतलब है कि नमाज़ी ख़ुद को ख़ुदा के सामने हाज़िर समझते हुए नमाज़ अदा करे, नमाज़ी नमाज़ को “अल्लाह से मुलाक़ात की जगह” के तौर पर देखे। इमाम ख़ामेनेई 02/09/2013
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