अल्लाह के भेजे हुए आसमानी धर्मों ने, बिलावजह उम्मीदों की किरन पैदा नहीं की है। एक हक़ीक़त को उन्होंने बयान किया है। इंसानों की पैदाइश और मानवता की पूरी तारीख़ में एक हक़ीक़त मौजूद है और वह हक़ीक़त यह है कि सत्य और असत्य के बीच यह संघर्ष एक दिन सत्य की कामयाबी और असत्य की नाकामी पर ख़त्म होगा और उस दिन के बाद इंसान की हक़ीक़ी दुनिया और इंसान की पसंदीदा जिन्दगी शुरू होगी। उस वक़्त प्रतिस्पर्धा का मतलब जंग व दुश्मनी नहीं, बल्कि भलाई और पुन्य के कामों में प्रतिस्पर्धा होगी। यह एक हक़ीक़त है जो सभी धर्मों व मतों में संयुक्त रूप से पायी जाती है।
इमाम ख़ामेनेई
17/8/2008