कुछ लोग ख़याल करते हैं कि उम्मीद पैदा करना अपनी कमज़ोरियों को छिपाना है, ख़ुद को धोखा देना है, नहीं, कमज़ोरियों को भी बयान करना चाहिए, इसमें कोई हरज नहीं है, लेकिन कमज़ोरियां बयान करने के साथ ही साथ उम्मीद पैदा करनी भी ज़रूरी है ताकि एक रौशन भविष्य की उम्मीद बाक़ी रहे। हमको आज इस आयत को मद्देनज़र रखना चाहिएः कमज़ोर न पड़ना और ग़मगीन न होना और आप लोग बुलंदतरीन अफ़राद हैं अगर आप साहेबाने ईमान हैं। (सूरए आले इमरान, आयत-139) आपका ईमान आपकी बुलंदी व बरतरी की गैरंटी है।
इमाम ख़ामेनेई
21/3/2023