वह चीज़ जिसका मुस्तक़बिल है, वह क़ुरआन है, वह इस्लाम है, वे आप मोमिन नौजवान हैं, वे जो मुस्तक़बिल के मालिक हैं, आप नौजवान हैं। और अल्लाह से बढ़कर कौन बात का सच्चा है। (सूरए निसा, आयत-122) अल्लाह के वादे भी उसके दिल को इत्मेनान व सुकून न दे सकें तो तजुर्बे को देखकर दिलों में सुकून पैदा हो जाना चाहिए, ईरानी ने ईमान की ताक़त, जेहाद व प्रतिरोध के ज़रिए और क़ुरबानियां देकर उस (पहलवी) हुकूमत को ख़त्म करने में कामयाबी हासिल की जिसे विश्व स्तर पर सपोर्ट व मदद हासिल थी और उसकी जगह वह चीज़ क़ायम की कि दुनिया की बड़ी ताक़तें जिसे हरगिज़ बर्दाश्त नहीं कर पा रही हैं, यानी यह इस्लामी गणराज्य सिस्टम, एक तजुर्बा ही तो है। इससे बेहतर तजुर्बा और क्या चाहिए? ऐ मुसलमानो! कमज़ोरी न दिखाओ और ग़मगीन न हो अगर तुम मोमिन हो तो तुम ही ग़ालिब व बरतर होगे। (सूरए आलेइमरान, आयत-139) ईमान अगर हो तो आप बरतर हैं, ईमान की राह में मज़बूत रहिए, डटे रहिए। इमाम ख़ामेनेई 24/5/2017