इस्लामी समाज और इस्लामी माहौल में किसी भी बदगुमानी के बिना लोगों के साथ सार्थक सोच के साथ व्यवहार करना चाहिए। रिवायतों में है कि जिस वक़्त सत्ताधारी तबक़ा बुराई व भ्रष्टाचार में लिप्त हो तो हर चीज़ को शक की निगाह से देखा करो, लेकिन जिस वक़्त समाज में भलाई फैली हो, बदगुमानी छोड़ दो और एक दूसरे के बारे में सार्थक सोच रखो। एक दूसरे की बातों को सच समझ कर सुनो और एक दूसरे की बुराइयों को न देखा करो, बल्कि उनकी अच्छाइयों पर नज़र रखा करो।  इमाम ख़ामेनेई 24/10/2021  
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