इनाबा, यानी अल्लाह की ओर पलटना। यह तौबा व इनाबा स्वाभाविक तौर पर एक ख़ास मानी रखता है। तौबा का पहला क़दम यह है कि काम के ऐब को समझें, ग़ौर व फ़िक्र करें कि हमारे काम में कहाँ मुश्किल है, हमसे कहाँ ग़लती हुयी है, हम कहाँ गुनाह कर बैठे हैं। कहाँ क़ुसूर हुआ है, यह काम ख़ुद अपनी ज़ात से हमको शुरू करना चाहिए। इमाम ख़ामेनेई 18/09/2008
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