"हम इंतेज़ार कर रहे हैं" यानी हमें यह उम्मीद है कि यह दुनिया हमारी लगातार कोशिशों के साए में एक दिन ऐसी दुनिया में बदल जाएगी जिसमें इंसानियत और इंसानी वैल्यूज़ का सम्मान होगा और ज़ालिम, मुंहज़ोर और इंसानों के अधिकारों पर डांका डालने वालों को अपनी इच्छाओं को पूरी करने के लिए कोई मौक़ा व जगह नहीं मिलेगी। इमाम ख़ामेनेई 2/3/1991