इंसान अगर सही दिशा में क़दम उठाएं तो सही दिशा में आगे बढ़ेंगे और अगर ग़लत राह पर लग जाएं तो ग़लत राहों पर ही बढ़ते चले जाएंगे। क़ुरआन में इन दोनों ही बातों की ओर इशारा मौजूद है। सूरए राद (की आयत 11) में इरशाद होता हैः "बेशक अल्लाह किसी क़ौम की उस हालत को नहीं बदलता जो उसकी है जब तक क़ौम ख़ुद अपनी हालत को न बदले।" आयत के संदर्भ से पता चलता है कि इसमें सार्थक पहलू को बयान किया गया है, यानी जब आप ख़ुद अपने भीतर सही बदलाव लाएंगे तो अल्लाह भी आपकी ज़िन्दगी में सार्थक घटनाएं व हक़ीक़तें वजूद में लाएगा।
इमाम ख़ामेनेई
03/06/2020