पैग़म्बरे इस्लाम की पैग़म्बरी से मिलने वाला एक बहुत ही अहम ख़ज़ाना, जिसकी ओर अफ़सोस कि ज़्यादा ध्यान नहीं दिया जाता, दुष्ट लोगों के मुक़ाबले में दृढ़ता और अभेद्य होना है। मानव समाज को जो नुक़सान पहुंचा है, उनमें से एक उनके दुश्मनों का उनके बीच पैठ बना लेना है कि जिसका ज़िक्र पवित्र क़ुरआन में आया हैः "वो काफ़िरों पर सख़्त हैं" (सूरए-फ़तह, आयत-29) इस आयत में 'अशिद्दा' शब्द आया है जिसका मतलब अमल में सख़्ती नहीं है। 'अशिद्दा' उस मानी में कि जिसे फ़ारसी में कर्म करने में शिद्दत कहते हैं, नहीं है। 'अशिद्दा' यानी सख़्त होना, मज़बूत होना, अभेद्य होना, 'अशिद्दा' का यह मतलब है। 'अशिद्दाओ अलल कुफ़्फ़ार' यानी काफ़िरों को इजाज़त न देना कि वो समाज में पैठ बनाएं।
इमाम ख़ामेनेई
18/02/2023