अमीरुल मोमेनीन अलैहिस्सलाम ख़िलाफ़त की ज़िम्मेदारी क़ुबूल करने के बाद उस लम्हे तक इंसाफ़ क़ायम करने से पीछे नहीं हटे जब आपके सिर पर मेहराब में तलवार मारी गयी। आप अपने मार्ग पर दृढ़ता से डटे रहे और बाद में उसी राह पर चलते हुए शहीद हो गएः "अमीरुल मोमेनीन न्याय क़ायम करने में शिद्दत की वजह से इबादत के मेहराब में शहीद कर दिए गए।" इमाम ख़ामेनेई 07/10/1998