ग़ज़ा के वाक़यात ने दिखा दिया कि पश्चिम की यह तथाकथित सभ्य दुनिया जो मानवाधिकार की दावेदार है उसकी सोच और उसके अमल पर कैसी तारीकी छायी है। 30 हज़ार से ज़्यादा इंसान बच्चों से लेकर बूढ़ों तक छोटी सी मुद्दत में मार डाले जाते हैं और यह सभ्य दुनिया रोकना तो दूर मदद करती है।
इमाम ख़ामेनेई
20 मार्च 2024