आज़ ग़ज़ा में जो कुछ हो रहा है वह दोनों तरफ़ से चरम पर है। ज़ायोनी और पश्चिमी सभ्यता का अपराध और बर्बरता भी और मसले का दूसरा पहलू भी, अवाम का बेमिसाल सब्र और प्रतिरोध और हमास और फ़िलिस्तीनी रेज़िस्टेंस के जेहाद की ताक़त भी। इमाम ख़ामेनेई  12 मार्च 2024
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