बिस्मिल्लाह-अर्रहमान-अर्रहीम

सबसे पहले इमाम हुसैन अलैहिस्सलाम के शुभ जन्म दिवस पर पूरे ईरानी राष्ट्र और उन सभी को मुबारकबाद पेश करता हूं जो हमारी बात सुन रहे हैं। इमाम हुसैन अलैहिस्सलाम से ईरानी क़ौम और शिया व सुन्नी समेत सारी मुसलमान क़ौमें इश्क़ करती हैं। हमें उम्मीद है कि आज का दिन ईरानी क़ौम के लिए बर्कतों वाला दिन होगा और इंशाअल्लाह पैग़म्बरे इस्लाम, अमीरुल मोमेनीन हज़रत अली अलैहिस्सलाम और हज़रत फ़ातेमा ज़हरा सलामुल्लाह अलैहा ईरानी क़ौम और पूरी मुसलमान क़ौम को आज ईदी देंगे।

आज वृक्षारोपण का दिन है; अल्लाह की मेहरबानी से हमें यह मौक़ा मिला कि पिछले बरसों की तरह इस साल भी दो पौधे लगाऊं और यह काम जो इस संबंध में हमसे हो सकता है, अंजाम दूं। सभी प्यारे भाईयों और बहनों को यह बात याद रखनी चाहिए कि पेड़ लगाना एक इंक़ेलाबी और दीनी काम है। ऐसा काम है जिसकी बुनियाद धार्मिक और क्रांतिकारी है। आज जो भी इस मैदान में काम कर रहा है उसे यह एहसास रहना चाहिए कि वह क्रांतिकारी काम कर रहा है और एक धार्मिक काम अंजाम दे रहा है। अलबत्ता पौधा लगाना काम की पहली मंज़िल है, देखभाल बाद की मंज़िल है। यानी पेड़ की देखभाल और उसकी रक्षा बहुत अहम है जिस पर ध्यान दिया जाए। अल्लाह ने वनस्पति को एक एक इंसान के लिए बहुत तरह से रोज़ी का ज़रिया क़रार दिया। वनस्पति से आहार भी मिलता है, दवाएं भी मिलती हैं,  सांस लेने के लिए आक्सीजन भी मिलती है, प्रकृति की ख़ूबसूरती बढ़ती है, आँखों को अच्छा लगने वाला, आत्मा को सुकून देने वाला और जिस्म की हिफ़ाज़त करने वाला स्रोत भी है, वनस्पति ऐसी होती है। इसलिए हरियाली उगाना और उसकी रक्षा सभी लोगों की ज़िम्मेदारी है, क्योंकि सभी इंसान वनस्पति पर निर्भर हैं। इसी वजह से हम इस बात पर ताकीद करते हैं और हमेशा से ताकीद की है जंगलों की कटाई, पर्यावरण को नुक़सान, ज़मीन पर वनस्पति, पेड़ और हरियाली को तबाह करना राष्ट्रीय संसाधनों को नुक़सान पहुंचाना है और समाज के आम हितों को नुक़सान पहुंचाना है। सभी यह बात समझें कि जंगल के किसी हिस्से को नुक़सान पहुंचाना, ख़त्म करना मान लीजिए कोई इमारत बनाने के लिए, कोई सेंटर बनाने के लिए, यह काम होता है तो वह यक़ीनी तौर पर सबके नुक़सान में है। हाँ एमरजेंसी की हालत में कोई बात नहीं, लेकिन किसी मामूली सी बात पर ऐसा करना, यक़ीनी तौर पर क़ौम के ऩुक़सान में और राष्ट्रीय हित के ख़िलाफ़ है। सभी लोग इस बात पर ध्यान दें कि पर्यावरण कोई सजावटी व औपचारिकता वाला विषय नहीं है। कुछ लोग पर्यावरण को सजावट और दूसरे दर्जे का मुद्दा समझते हैं। देश के बुनियादी कामों में; ऐसा नहीं है। पर्यावरण की रक्षा देश व संस्थाओं के कामों का बुनियादी हिस्सा है।

पर्यावरण की रक्षा के लिए एक ज़रूरी काम मिट्टी और पानी का मुद्दा है। बहुत से लोग इस बात से बेख़बर हैं कि पानी और मिट्टी दो बड़ी राष्ट्रीय संपत्ति है, पूरी दुनिया के देशों में सभी राष्ट्रों के जीवन के लिए बुनियादी हैसियत रखते हैं; इसका दोहन नहीं होना चाहिए, मिट्टी को नुक़सान नहीं पहुंचना चाहिए। इसलिए पानी और मिट्टी का हद से ज़्यादा इस्तेमाल, राष्ट्रीय हित के लिए यक़ीनी तौर पर नुक़सानदेह है। अलबत्ता पानी और मिट्टी के बेहतर से बेहतर इस्तेमाल के बहुत से तरीक़े हैं। जिसे इस फ़ील्ड के लोग जानते हैं; जिन्हें इस विषय की जानकारी है, वे देश के अधिकारियों को रास्ता दिखाएं, मदद करें, अधिकारी भी इस विषय पर ध्यान दें।

पर्यावरण की रक्षा से जुड़ा एक और मुद्दा वन्य जीवन की रक्षा का विषय है। पूरे देश में जंगलों, रेगिस्तानों और मैदानों में मौजूद, जानवरों की ओर से बेख़बर रहना, यक़ीनी तौर पर राष्ट्रीय हित के ख़िलाफ़ है। ग़ैर क़ानूनी शिकार पर लगाम लगनी चाहिए। पवित्र इस्लामी शरीयत में सिर्फ़ खाने की ज़रूरत के तहत शिकार की इजाज़त है। इसके अलावा दूसरी हालत में इजाज़त नहीं हैं, शरीअत में शिकार की इजाज़त नहीं दी गयी है। आप धर्मशास्त्र की किताब पढ़िए, उसमें लिखा है कि शिकार के सफ़र में नमाज़ पूरी पढ़नी है; यानी सफ़र, हराम सफ़र है; इसका यह मतलब हुआ। यानी यह काम सही नहीं है। इस पर ध्यान देने की ज़रूरत है। वन्य जीव की रक्षा बहुत अहम मुद्दा है।

एक और बिन्दु जो पर्यावरण की रक्षा करने वाले विभाग से संबंधित है और वह खेती की ज़मीन को दूसरे कामों में इस्तेमाल किए जाने से रोकना है। सुनने में आया है कि एक से ज़्यादा बार शहरों के आस-पास खेती की ज़मीनों, शहरों के क़रीब की ज़मीनों और कुछ मैदानों में इमारतें बना रहे हैं। इस पर रोक लगनी चाहिए, यक़ीनी तौर पर यह राष्ट्रीय हित के ख़िलाफ़ है। खेती की ज़मीन का दायरा बढ़ाना चाहिए, अलबत्ता यह काम सिर्फ़ पर्यावरण संरक्षण विभाग का नहीं है; कृषि मंत्रालय और कुछ दूसरे तंत्र भी इस मामले में असरअंदाज़ हो सकते हैं।

पर्यावरण से जुड़ा एक और बिन्दु नॉन फ़ॉसिल फ़्यूल के ऊर्जा स्रोतों का विकास है। यानी वह ऊर्जा जो तेल पर निर्भर नहीं हैं, जैसे ऐटमी एनर्जी आज जिसकी ओर दिन ब दिन रुझान बढ़ रहा है और हमारे चारों ओर ऐसे कई देश हैं जो ऐटमी एनर्जी की ओर बढ़ रहे हैं। सोलर एनर्जी, विन्ड एनर्जी और इस तरह की चीज़ें ज़रूरी हैं। अलबत्ता इस संबंध में पर्यावरण विभाग असरअंदाज़ असर हो सकता है, लेकिन दूसरे विभाग भी जैसे बिजली विभाग वग़ैरह भी इस संबंध में बहुत बड़ा रोल अदा कर सकते हैं। हम सबको इस फ़र्ज़ पर अमल करना चाहिए।

इसलिए, पर्यावरण से जुड़े मुद्दे बुनियादी मुद्दे हैं, देश का काम है, ऐसा काम है जिसका राष्ट्रीय हित से संबंध है, हम सभी का फ़रीज़ा है, सरकारी अधिकारी भी इस ओर ध्यान दें कि इंशा अल्लाह यह काम करेंगे।

आज पेड़ लगाने का दिन है। इस संबंध में राष्ट्र का हर शख़्स सही अर्थ में रोल निभा सकता है; यानी पेड़ लगाएं और उसकी रक्षा करें, शहरों में, शहरों के आस-पास पेड़ों को और बाग़ों को ख़त्म होने से रोकें और देश के लिए फ़ायदेमंद इस हरियाली और वनस्पतियों के दायरे को इन्शाअल्लाह दिन ब दिन बढ़ाने में मदद करें। यह सब लोगों का काम है। पूरी तरह इसमें भाग ले सकते हैं, पूरी तरह सरकार और अधिकारियों की मदद करें इन्शाअल्लाह इस काम को अंजाम दें। 

एक बार फिर अपने सभी प्यारों, इस बात को सुनने वाले सभी लोगों को ईद के दिन की मुबारकबाद पेश करता हूं और अल्लाह से सभी की सेहत की दुआ करता हूं।

आप सब पर अल्लाह का सलाम और उसकी रहमत हो।