हम कोशिश करें, घटनाओं की पहचान के दौरान अपनी समीक्षाओं व टिप्पणियों में ग़लती का शिकार न हों। यह समझ लें कि अमरीका और ज़ायोनीवाद, इस्लामी जगत के दुश्मनों में हैं, ज़ालिम हुकूमतों के शासक इस्लामी जगत के दुश्मनों में हैं, अगर हम देखें कि एक जगह पर वे सब एक ही रुख़ पर चल रहे हैं तो जान लें कि वह असत्य का रास्ता है, ग़लत राह है, अपनी समीक्षाओं में ग़लती न करें। “बेशक अल्लाह के नज़दीक तुम में से ज़्यादा मोअज़्ज़ज़ व मोकर्रम वह है जो तुममें से ज़्यादा परहेज़गार है।” (सूरए हुजरात, आयत-13) सबके सब एक जैसे और आपस में भाई भाई हैं, हम सबको होशियार रहना चाहिए। जागरुक होना चाहिए, अपनी आँखें खुली रखें, समीक्षाओं में ग़लती का शिकार न हों। इमाम ख़ामेनेई 19/08/1996