हज़रत फ़ातेमा ज़हरा की ज़िंदगी के संबंध में सटीक पहचान होनी चाहिए, उनकी ज़िंदगी को नई नज़र से देखना चाहिए, पहचानना चाहिए और सही मानी में आदर्श क़रार देना चाहिए। 19 अप्रैल 2014, उनकी शख़्सियत ठीक जवानी में सभी ग़ैरतमंद, मोमिन और मुसलमान मर्दों और औरतों यहाँ तक कि ग़ैर मुसलमानों के लिए भी जो उनके दर्जे को पहचानते हैं, आदर्श है; हमें इस महान हस्ती की ज़िंदगी से सीखना चाहिए।(13 दिसम्बर 1989)
हज़रत फ़ातेमा ज़हरा शक्ल में एक इंसान, एक महिला और वह भी जवान ख़ातून हैं; लेकिन अध्यात्म में एक महान हक़ीक़त, एक पाकीज़ा चमकता नूर, अल्लाह की एक नेक कनीज़, एक आदर्श और चुनी हुयी हस्ती हैं।
इमाम ख़ामेनेई
16 जनवरी 1990
अध्यात्म व पाकीज़गी के मर्तबों को हासिल करने में औरत और मर्द में कोई अंतर नहीं है। अल्लाह मानव इतिहास में हज़रत ज़हरा जैसी महिला को पैदा करता है जो (इमाम के) एक क़ौल के मुताबिक़, "हम मख़लूक़ पर अल्लाह की हुज्जत हैं और हमारी दादी फ़ातेमा हम पर हुज्जत हैं।" फ़ातेमा ज़हरा अल्लाह की हुज्जत हैं, इमामों की इमाम हैं; क्या इससे बढ़कर कोई शख़्सियत हो सकती है?
इमाम ख़ामेनेई
1 मई 2013
हज़रत फ़ातेमा ज़हरा स्वर्ग की औरतों की सरदार हैं। बहादुरी का सबक़, त्याग का सबक़, दुनिया में ज़ोहद का सबक़, मारेफ़त हासिल करने का सबक़, दिलों तक मारेफ़त पहुंचाने का सबक़, इंसान के बौद्धिक लेहाज़ से परिपक्व टीचर के मक़ाम पर पहुंचना, हज़रत फ़ातेमा ज़हरा सलामुल्लाह अलैहा के सबक़ हैं।
इमाम ख़ामेनेई
18 फ़रवरी 2018
इमाम ख़ुमैनी इमामबाड़े में अय्यामे फ़ातेमीया की आख़िरी मजलिस सोमवार की रात आयोजित हुई जिसमें इस्लामी इंक़ेलाब के नेता और अज़ादारों की एक तादाद ने शिरकत की।