कुछ रवायतों में इमाम महदी को हज़रत यूसुफ़ जैसा कहा गया है कि उनके भाई उन्हें देख रहे थे, हज़रत यूसुफ़ उनके सामने थे, उनके क़रीब जाते थे लेकिन वे उन्हें नहीं पहचान पाते थे। इमाम महदी अलैहिस्सलाम का वजूद इस तरह नुमायां, स्पष्ट और हौसला देने वाली हक़ीक़त है। इमाम ख़ामेनेई 09/07/2011
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