इंसान को पैग़म्बर, अल्लाह की ओर आने की दावत देने और उसकी ओर बुलाने वालों की हमेशा ज़रूरत है और ये ज़रूरत आज भी बाक़ी है। अल्लाह की ओर बुलाने वालों का यह सिलसिला आज भी टूटा नहीं है और इमाम महदी का पाकीज़ा वजूद जिन पर हमारी जाने क़ुर्बान हों, अल्लाह की ओर बुलाने वालों की आख़िरी कड़ी है।
इमाम ख़ामेनेई
20/9/2005
ये सिर्फ़ शिया नहीं हैं जो इमाम महदी अलैहिस्सलाम के आने का इंतेज़ार कर रहे हैं बल्कि मुक्तिदाता इमाम महदी के इंतेज़ार का अक़ीदा सभी मुसलमानों का अक़ीदा है। दूसरों और शियों में फ़र्क़ यह है कि शिया इस महान हस्ती को उसके नामो-निशान और मुख़्तलिफ़ ख़ुसूसियतों से जानते हैं।
इमाम ख़ामेनेई
20/5/2005
इमाम महदी अलैहिस्सलाम पर ध्यान केन्द्रित करना दरअस्ल अल्लाह की बारगाह में बंदगी और अक़ीदत ज़ाहिर करना है। इमाम महदी अलैहिस्सलाम की तरफ़ तवज्जो केन्द्रित करते हैं, उनसे मदद मांगते हैं, उनकी बारगाह में सिर झुकाते हैं तो इसलिए कि हमारी यह अक़ीदत अल्लाह की बारगाह में पहुंचे और हमारा यह अमल अल्लाह की बारगाह में बंदगी समझा जाए।
इमाम ख़ामेनेई
10 मई 2017