क़ुरआन ने इस तरह के दिनों की याद और ज़िक्र को बाक़ी रखने का हुक्म दिया है। दस से ज़्यादा बार क़ुरआन में इस तरह आया हैः 'याद कीजिए, ज़िक्र कीजिए' ... यही क़ुरआन का तरीक़ा है।